जांच की गाड़ी नहीं चलने से घटतौली के शिकार हो रहे ग्राहक
बांका। जिला में माप-तौल विभाग पूरी तरह से निष्क्रिय है। दावा है कि 3400 से अधिक दुकानों का निबंधन है। जहां बाट बटखरे की जांच नियमित होती है। सचाई है कि यहां पांच हजार से अधिक दुकानों की संख्या है। जहां बाटों की जांच महीनों से नहीं हुई है। इस कारण ग्राहकों को इस महंगाई में भी कम वजन से ही संतोष करना पड़ता है।
बांका। जिला में माप-तौल विभाग पूरी तरह से निष्क्रिय है। दावा है कि 3400 से अधिक दुकानों का निबंधन है। जहां बाट बटखरे की जांच नियमित होती है। सच्चाई है कि यहां पांच हजार से अधिक दुकानों की संख्या है। जहां बाटों की जांच महीनों से नहीं हुई है। इस कारण ग्राहकों को इस महंगाई में भी कम वजन से ही संतोष करना पड़ता है।
शनिवार को बांका, बौंसी सहित अन्य बाजारों में इसकी पड़ताल दैनिक जागरण ने की। जहां यह बात सामने आयी है। कुछ ग्राहकों ने बताया कि कंप्यूटर युग में भी बाजार पहुंच रहे अधिकांश लोगों को घटतौली का शिकार होना पड़ रहा है। इसके प्रति जागरुकता का भी अभाव है।
ग्राहक अमित सिंह ने बताया कि खासकर सब्जी मंडी में इसको लेकर रोज किचकिच आम बात हो गई है। तभी तो, यहां ईंट-पत्थर के बटखरे का जमकर उपयोग हो रहा है। विभाग की स्थिति का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि यहां महीनों से कई बाजारों में बाट-तराजू की जांच नहीं हुई। जिससे एक ओर जहां दुकानदारों की चांदी कट रही है वहीं, ग्राहकों की जेब भी काटी जा रही है। बाजार में गल्ला और किराना स्टोर पर भी कंप्यूटर मशीन है। मगर सब्जी और फल मंडी की घटतौली खत्म करना अब भी जटिल समस्या बनी हुई है। इधर, जिला खाद्यान्न संघ के जिलाध्यक्ष संजय तिवारी ने बताया कि सभी किराना व गल्ला दुकानों में डिजिटल कांटा का उपयोग होता है। इसकी जांच भी होती है।
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हर महीने होता है कांटा और बाट का सत्यापन
विभागीय अधिकारियों का दावा है कि वे हर महीने शहर के विभिन्न क्षेत्रों व प्रखंडों में कैंप लगाकर कांटा-बाट का सत्यापन करते हैं। गड़बड़ी पाए जाने पर कार्रवाई भी होती है, मगर वास्तव में यह धरातल पर कहीं दिखती नहीं।
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बाट की जगह ईट-पत्थर के बटखरे का करते इस्तेमाल
शहर के अधिकतर सब्जी विक्रेता बाट की जगह ईंट-पत्थर का इस्तेमाल करते हैं। एतराज जताने पर दुकानदार दो टूक में कहते हुए चलता कर देता है कि जहां सही तौल मिले वहीं जाकर सब्जी लें।
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शिकायत पर नहीं होती कार्रवाई
विभाग के अनुसार माप-तौल में गड़बड़ी पर सजा का प्रावधान है, लेकिन सबसे बड़ी विडंबना है कि लोग घटतौली की शिकायत करेंगे कहां। यहां तो माप तौल कार्यालय प्राय: बंद रहता है। इस कारण शिकायतें नहीं होती है।
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कोट
दिसंबर में बाटों की जांच हुई थी, जबकि लॉकडाउन के कारण अभी बंद है। लॉकडाउन में 10 पेट्रोल पंपों की जांच हुई थी। जिसमें कुछ गड़बड़ी पर अभियोग चलाया गया था।
ब्रजभूषण कुमार, निरीक्षक, माप-तौल विभाग
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इंसेट
क्या होना चाहिए
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-मिठाई के साथ डिब्बे या किसी थैले का वजन नहीं तौला जाना चाहिए।
-माप-तौल विभाग का काम है कि वह इस्तेमाल किए जा रहे उपकरणों की नियमित रूप से जांच करे।
-कम वजन देनेवाले दुकानदारों पर मामला दर्ज कर कार्रवाई होनी चाहिए।
-ग्राहकों को सही वजन व मात्रा मिले, ये जिम्मेदारी माप-तौल विभाग की है।
-किसी भी चीज के अधिकतम मूल्य (छपे हुए) पर अगर दुकानदार स्टीकर लगाता है, तो वह गैरकानूनी है।
-लोहे के बाट के लिए दो साल में व इलेक्ट्रॉनिक मशीन के लिए हर साल लाइसेंस का नवीनीकरण जरूरी है।