आपातकाल में दो बार बांका में भूमिगत रहे कर्पूरी ठाकुर
बांका। बड़े समाजवादी नेता व बिहार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर का बांका से गहरा रिश्ता रहा है। अपने राजनीतिक और सामाजिक जीवन में वे दो दर्जन से अधिक बार बांका आए।
बांका। बड़े समाजवादी नेता व बिहार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर का बांका से गहरा रिश्ता रहा है। अपने राजनीतिक और सामाजिक जीवन में वे दो दर्जन से अधिक बार बांका आए। सबसे खास बात यह कि छात्र आंदोलन में आपातकाल के दौरान भी दो बार वे बांका में भूमिगत रहे।
भितिया के समाजवादी नेता कृष्णदेव सिंह बताते हैं कि आपातकाल के दौरान कर्पूरी ठाकुर उत्तरी बिहार के किसी जिला में थे। 25 जून 1975 की रात आपातकाल की घोषणा से पहले ही सभी बड़े आंदोलनकारी को गिरफ्तार कर लिया गया। तब कर्पूरी जी नेपाल चले गए। महीने भर बाद वे भागलपुर रन्नूचक मंकदपुर से फुल्लीडुमर आए थे। इस दौरान करीब 20 दिनों तक कृष्णदेव सिंह के नेतृत्व में क्रांतिकारियों के साथ उनके बासा पुतरिया और नाढ़ा पहाड़ पर कई रातें बीती। रात को वे पत्थरों पर सोते थे। कृष्णदेव सिंह बताते हैं कि उस वक्त कर्पूरी जी साधु का भेष धारण किए, हाथ में एक खंजड़ी लिए रहते थे। क्रांतिकारी की कई बैठकें इस दौरान हुई। इस भूमिगत अवधि में ही एक दिन अचानक फुल्लीडुमर के जमादार बिदेश्वरी सिंह से उन दोनों का सामना हो गया। दारोगा ने कर्पूरी ठाकुर को सैल्यूट मार दिया। कर्पूरी जी ने भी संत के रूप में हाथ उठाकर आशीर्वाद दे दिया, लेकिन सबको डर हो गया। तब चार लोगों के साथ कर्पूरी जी को लेकर वे लाहावण तक पैदल फिर रेल से हावड़ा निकल गए। इसके पहले 1974 में भी आंदोलन के दौरान ही उनकी तबीयत खराब होने की खबर सुनकर कर्पूरी जी खुद दवा लेकर, तब के बेलहर विधायक चतुर्भुज मंडल के साथ उनके घर अचानक पहुंच गए थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने बदुआ डैम पर अधिकारियों के साथ बैठक की। इसके बाद कार्यकर्ताओं से भी मिले थे।
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प्रोफेसर सुरेंद्र के आवास पर बैठकी
समाजवादी विचार से प्रभावित पीबीएस कॉलेज के प्रो. सुरेंद्र सिंह उस वक्त शहर में पंचमुखी महादेव मंदिर के सामने एक घर में रहते थे। कर्पूरी ठाकुर बांका आने पर हर बार उनके आवास पर ही बैठकी जमाते थे। पूर्व सांसद तथा कर्पूरी सरकार में उद्योग मंत्री रहे जनार्दन यादव बताते हैं कि कर्पूरी जैसा ईमानदार, मेहनती और कार्यकर्ता का हितैषी कोई नेता नहीं हुआ। घूम-घूम कर कार्यकर्ता और जनता से मिलना उन्हें खूब पसंद था। वे बताते हैं कि मुख्यमंत्री रहते एक बार सुरेंद्र बाबू के आवास पर वे, कर्पूरी ठाकुर के साथ बैठे थे। तीनों में चर्चा बांका के सांसद मधु लिमये को लेकर हो रही थी। चुनाव होना था। उसी वक्त भागलपुर से बंबई-जनता एक्सप्रेस चलना शुरू हुआ था। जनार्दन यादव ने इस चर्चा में कर्पूरी ठाकुर को कहा कि वे इस बार मधु लिमये को बंबई जनता एक्सप्रेस पकड़ा देंगे। इस पर खूब ठहाका लगा। कुछ दिनों बाद हुए चुनाव में लिमये के साथ जनार्दन यादव और चंद्रशेखर सिंह आमने-सामने हो गए। दो बार के सांसद मधु लिमये को हारना पड़ा और चंद्रशेखर सिंह सांसद बन गए।