बांका डीडीसी और बौंसी बीडीओ के बीच छिड़ा पत्रयुद्ध
भागलपुर [शंकर दयाल मिश्रा]। बांका के डीडीसी रवि प्रकाश और बौंसी के बीडीओ डॉ. अमित क
भागलपुर [शंकर दयाल मिश्रा]।
बांका के डीडीसी रवि प्रकाश और बौंसी के बीडीओ डॉ. अमित कुमार के बीच छिड़ा पत्रयुद्ध न सिर्फ प्रशासनिक गलियारों, बल्कि आमलोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
पत्र की भाषा साहित्य की व्यंग्यात्मक विधा का अहसास कराती है। रवि प्रकाश आइएएस हैं। अमित के आगे लगा डॉक्टर उनके पीएचडी धारक (उच्चतर शिक्षा प्राप्त व्यक्ति) होने का सम्मान। वे बीपीएससी से चयनित हैं।
दोनों के बीच भिड़ंत का कारण योजनाओं के क्रियान्यवन में शिथिलता और कथित भ्रष्टाचार है।
मामला 23 जनवरी से शुरू हुआ, जब डीडीसी निरीक्षण में बौंसी प्रखंड कार्यालय गए थे। वहां बीडीओ नहीं थे। इस पर उन्होंने स्पष्टीकरण पूछा। डॉ. अमित ने दूसरे ही दिन 24 जनवरी को इसके जवाब में अपने सम्मान की भी दुहाई दी।
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बीडीओ ने पत्र में लिखा
भवदीय (डीडीसी) प्रखंड मुख्यालय में आकर मेरे अधीनस्त को बोला गया कि तुम्हारा बीडीओ पैसा लेता है जो कि अधोहस्ताक्षरी (बीडीओ) को सीधे-सीधे अपने अधीनस्थ के सामने अपमानित करना प्रतीत होता है। महाशय अधोहस्ताक्षरी का ऐसा संस्कार नहीं रहा है। मार्च 2019 में अधोहस्ताक्षरी प्रखंड विकास पदाधिकारी बौंसी के रूप में आए थे। उस समय प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में बौंसी प्रखंड जिले में 11वें स्थान पर था, जिसे अधोहस्ताक्षरी द्वारा मेहनत करके चौथे स्थान पर लाया गया। भवदीय द्वारा इस तरह की अमार्यादित भाषा का प्रयोग अधोहस्ताक्षरी को हतोत्साहित करने के साथ मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने का प्रयास भी है। उम्मीद करूंगा कि आगे अमर्यादित भाषा का प्रयोग नहीं होगा।
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डीडीसी ने पत्र भेजा
25 जनवरी को डीडीसी ने जवाबी पत्र भेजा। यह यूं है-आपका पत्र पाकर बहुत सुखद अनुभूति हुई कि कम से कम संचार का एक यह माध्यम रखकर भवदीय (बीडीओ) ने स्वयं को शिव शंकर के त्रिशूल पर न बसा मानकर धरातल पर बांका के एक हिस्से में होने का परिचय दिया है। साथ ही यह भी पढ़कर अच्छा लगा कि भवदीय के सम्मान एवं आत्मनिष्ठा को चोट लगी है। क्योंकि विगत कुछ महीनों से जिला के विभिन्न विचलित पदाधिकारियों द्वारा भेजे गए स्पष्टीकरण, अनुग्रह पत्र, स्मार इत्यादि इस तरह की प्रतिक्रिया उत्पन्न करने में संपूर्णत: विफल रहे थे।
पत्र के अगले पाराग्राफ में लिखा है- बांका जिले में पदस्थापन के चार महीनों के उपरांत भवदीय (बीडीओ) के दर्शन से वंचित अधोहस्ताक्षरी (डीडीसी) का व्याकुल मन स्वयं ही बौंसी प्रखंड में श्रीमान के दीदार हेतु जा निकला था। वहां संध्या चार बजे पहुंचने के बाद निराशा हाथ लगी। मान्यवर अपने दिन की चर्या अल्प समय में ही निपटाकर विश्राम हेतु प्रस्थान कर चुके थे। हमने ससम्मान सूचनार्थ एक-दो व्यक्तियों को भवदीय के सम्मुख फरियाद लेकर भेजा, पर शायद भवदीय की हमें अनुगृहित करने की इच्छा नहीं थी।
इसके अगले पाराग्राफ में डीडीसी ने हर लाइन में व्यंग्य के माध्यम से ही प्रखंड में योजनाओं की दुर्गति का आइना दिखाया है और आवास योजना में चौथा स्थान प्राप्त करने के दावे और अपने आवास पर सरकारी फाइलों को मंगाए जाने पर सवाल उठाया है। पत्र की अंतिम लाइन - आशा है भवदीय की मर्यादा को जो ठेस पहुंची है, अपनी इस प्रशंसनीय उपलब्धियों से पुन: इसकी मरम्मत करना सुनिश्चित करेंगे।
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बौंसी बीडीओ पर विभागीय कार्यो में शिथिलता के कारण मुख्यालय से कई शोकॉज पूछा गया है। पीएम आवास योजना से लेकर कई आदेश पत्र पर बीडीओ द्वारा हस्ताक्षर नहीं किया गया है। समीक्षा में यह बात सामने आने पर प्रखंड कार्यालय गए तो बीडीओ अनुपस्थित थे। आवास सहायकों ने भी उनके संबंध में कई जानकारी दी। गलत पत्राचार पर उन्हें पत्र लिखा गया है।
रवि प्रकाश, डीडीसी
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मेरे खिलाफ दुर्भावना से ग्रसित होकर काम किया जा रहा है। मेरी अनुपस्थिति में आवास सहायकों से मेरे बारे में पैसे लेने की बात डीडीसी द्वारा कही गई है। इसी सवाल पर डीडीसी को पत्र लिखा। अगर डीडीसी आइएएस हैं तो हम बीपीएससी से हैं। इसी से ग्रसित होकर मेरे खिलाफ गलत पत्राचार किया गया है।
डॉ. अमित कुमार, बीडीओ, बौंसी