संकट में वन्य जीवों की ¨जदगानी
बांका। हरियाली बढ़ने से बांका के जंगल और पहाड़ की आबोहवा जंगली जीवों को खूब भा रही
बांका। हरियाली बढ़ने से बांका के जंगल और पहाड़ की आबोहवा जंगली जीवों को खूब भा रही है। हिरण, नीलगाय, अजगर, जंगली खरहा, केविट कैट, सियार, जंगली सूअर, लोमड़ी तक खूब दिखता रहा है। कई बार लैपर्ड होने का सबूत भी झरना आसपास में वन विभाग को मिला है। इसके अलावा पिछले एक दशक से जंगली हाथियों के झुंड को भी बांका का वन खूब भा रहा है। इसके अलावा बड़ी संख्या में हर साल प्रवासी पक्षी भी बांका के डैम पर डेरा डालते हैं। लेकिन वन्य जीवों की खूबसूरती को वन माफिया की नजर लग गयी है। वन विभाग भी इसकी सुरक्षा को लेकर अधिक सजग नहीं है। नतीजा हर दिन बड़ी संख्या में वन्य जीव विभिन्न कारणों से मारे जा रहे हैं। इसकी सुरक्षा का ठोस इंतजाम नहीं हुआ तो जंगल बिना जीव का हो जाएगा।
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पांच दर्जन बस्ती में शिकारी गैंग
वनवासी की कई बस्ती परंपरागत तौर पर जंगली जीवों का शिकार करती रही है। हर गांव में उसकी टीम है। वे सप्ताह में कम से कम एक बार जरूर धनुष-बाण आदि हथियार के साथ जंगल शिकार के लिए निकलते हैं। वे बिल्ली प्रजाति के जीव, जंगली खरहा, सियार, लोमड़ी की घेराबंदी कर मार डालते हैं। करझौंसा के पास शिकारी गिरोह का सदस्य शिवलाल हेंब्रम मिला। उसके साथी के कंधे पर कई वन्यजीवों टंगे थे। इंटर की पढ़ाई कर रहे शिवलाल ने बताया कि वे परंपरागत तौर शिकार करते हैं। शौक के साथ मांसाहार की इच्छा पर गांव के युवक की टोली अक्सर जंगलों में जीव खोजते हैं। वहीं जिलेबिया पहाड़ के पास बच्चों का एक समूह एक अजगर को अधमरा कर रस्सी से बांध खींचता मिला। कुछ पूछने पर बच्चे इसे छोड़ कर फरार हो गये। यहां ग्रामीण शंकर यादव ने बताया कि जंगल में बड़ी मात्रा में अजगर हैं। पर बाहर निकलने पर बच्चे और ग्रामीण भी डर से इसे मार देते हैं।
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वन विभाग वन रक्षकों की कमी से जूझ रहा है। जिला भर में जंगलों की सुरक्षा को केवल दो वन रक्षक बचे हैं। इससे जंगलों की नियमित सुरक्षा नहीं हो पाती है। अधिकारी के वन क्षेत्र भ्रमण पर ऐसा मामला सामने आने पर सख्ती से कार्रवाई की जाती है।
शशिकांत कुमार, डीएफओ