नदियों की तलहटी में गहराया जल संकट, सूख गए कुएं तालाब
बांका। बदुआ नदी किनारे स्थित चौरा धौरी चंपातरी डुब्बा बड़हरा कुमरैल मथुरा सहित अन्य गांवों में जल संकट गहराने लगा है।
बांका। बदुआ नदी किनारे स्थित चौरा, धौरी, चंपातरी, डुब्बा, बड़हरा, कुमरैल, मथुरा सहित अन्य गांवों में जल संकट गहराने लगा है। गर्मी के दस्तक देने के साथ ही कुएं, तालाब सूखने लगा है। वहीं, एक-एक कर चापाकल भी फेल करने लगे हैं। जिस कारण स्थानीय लोगों को पेयजल संकट की समस्या उत्पन्न हो गई है। इसका मुख्य वजह बालू खनन से गहरा हुई नदी बताया जाता है। स्थानीय लोगों व बुजुर्गों की मानें तो एक दशक पूर्व नदी का जलस्तर वर्तमान स्थिति की तुलना में काफी उंचा था। लेकिन बालू उत्खनन के चलते मौजूदा समय में करीब 10 फीट नीचा हो गया है। पहले चापाकल 15 से 20 फीट गहराई में ही चलती थी। जिसका पानी भी स्वच्छ होता था। लेकिन अब 30 से 40 फीट गहराई तक जाने बाद भी ढंग का पानी नहीं निकलता है। पूर्व के गाड़े गए चापाकल एक-एक कर फेल करने लगा है। जिस कारण लोगों को नए चापाकल का निर्माण करवाना पड़ रहा हैं। वहीं, गांव के पूर्वी भाग स्थित पंचभूर नाम से प्रसिद्ध तालाब एवं नदी भी सूख गया है। जिसके चलते मवेशियों की भी प्यास बुझाना मुश्किल हो गया है।बताया जाता है कि उक्त तालाब में पांच छिद्र हुआ करता था। सभी छिद्र से स्वयं निर्मल जल निकलता था। जिसमें मिठास भी होती थी। आसपास गांव के ग्रामीण उस पानी को पेयजल के रूप में भी इस्तेमाल करते थे।