सूर्य सर्किट में शामिल नहीं हो सका देव सूर्य मंदिर
औरंगाबाद। देव प्रखंड मुख्यालय स्थित ऐतिहासिक एवं पौराणिक सूर्य मंदिर अब तक सूर्य सर्किट में
औरंगाबाद। देव प्रखंड मुख्यालय स्थित ऐतिहासिक एवं पौराणिक सूर्य मंदिर अब तक सूर्य सर्किट में शामिल नहीं हो सका है। सूर्य सर्किट का निर्माण कर देव सूर्य मंदिर के अलावा राज्य के अन्य पौराणिक सूर्य मंदिरों की एक सर्किट बनाकर विकास करने की योजना थी। देश स्तर पर सूर्य सर्किट का निर्माण किया गया है जिसमें उड़ीसा का कोणार्क सूर्य मंदिर के अलावा कई अन्य प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों को इस सर्किट में शामिल किया गया है। देव सूर्य मंदिर को सूर्य सर्किट में शामिल करने को लेकर पिछले कई वर्षों से घोषणा हो रही है। देव महोत्सव के मंच से लेकर कार्तिक एवं चैत्र मास में मेला के दौरान आने वाले कई मंत्री के द्वारा देव सूर्य मंदिर को सूर्य सर्किट में शामिल करने को लेकर घोषणा की गई है। पूर्व पर्यटन राज्य मंत्री सुरेश पासवान के द्वारा भी देव सूर्य मंदिर को सूर्य सर्किट में शामिल करने की कई बार घोषणा की थी परंतु अब तक घोषणा पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 30 अगस्त 2018 को पटना के प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित जनसहयोग कार्यक्रम में पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार ने बिहार में सूर्य सर्किट का निर्माण शीघ्र करने की घोषणा की थी और इस सर्किट में देव सूर्य मंदिर के अलावा नालंदा का सूर्य मंदिर, नवादा का हड़िया सूर्य मंदिर, पटना के उलार व पंडारक समेत राज्य के अन्य सूर्य मंदिरों को शामिल करने की बात कही थी। पांच माह गुजर गया परंतु अब तक सूर्य सर्किट के निर्माण नहीं किया गया है। सूर्य सर्किट में अगर देव सूर्य मंदिर शामिल होता तो देव का विकास होगा। यहां देश के अलावा विदेशी पर्यटकों का प्रवाह होता। देव सूर्य मंदिर दिल्ली से कोलकाता को जोड़ने वाली देश के महत्वपूर्ण सड़क मार्ग में शामिल जीटी रोड से मात्र छह किमी की दूरी पर है। जीटी रोड से काफी संख्या में पर्यटक आवागमन करते हैं परंतु विकास नहीं होने के कारण देव नहीं जा पाते हैं। देव का सूर्य मंदिर त्रेतायुगीन है परंतु देश के पर्यटन मानचित्र पर अब तक शामिल नहीं हो सका है। देव सूर्यमंदिर न्यास समिति के सचिव कृष्णा चौधरी, कोषाध्यक्ष रामचंद्र चौरसिया ने बताया कि देव सूर्य मंदिर की जितनी गरिमा एवं महिमा है उस मुताबिक विकास नहीं हुआ है। विकास होता तो काफी संख्या में पर्यटकों का यहां प्रवाह होता। देव के बगल से जीटी रोड के रास्ते श्रद्धालु एवं पर्यटक बोधगया एवं वाराणसी एवं सारनाथ की तरफ आवागमन करते हैं परंतु वे देव की तरफ नहीं आ पाते हैं।