सूर्य मंदिर परिसर में मनाई जाएगी अचला सप्तमी
औरंगाबाद। मौलाबाग स्थित ऐतिहासिक सूर्य मंदिर में सूर्य मंदिर न्यास समिति द्वारा मंगलवार को सूय
औरंगाबाद। मौलाबाग स्थित ऐतिहासिक सूर्य मंदिर में सूर्य मंदिर न्यास समिति द्वारा मंगलवार को सूर्य सप्तमी (अचला सप्तमी ) मनाया जाएगा। पूजा अर्चना करते हुए धूमधाम से अचला सप्तमी बनाने की तैयारी की गई है। न्यास समिति के सचिव डा. संजय कुमार ¨सह ने बताया कि भगवान सूर्य की पूजा अर्चना की जाएगी। प्रसाद वितरण होगा। भजन कीर्तन कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्य सप्तमी, अचला सप्तमी, रथ आरोग्य सप्तमी आदि नामों से जाना जाता है। भगवान सूर्य देव को समर्पित Þरथ सप्तमीÞ का व्रत माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है। मान्यता है इस दिन किए गए स्नान, दान, होम, पूजा आदि सत्कर्म हजार गुना अधिक फल देते हैं। कथा का है ग्रंथों में उल्लेख
आचार्य लाल मोहन शास्त्री ने बताया कि शास्त्रों में सूर्य को आरोग्यदायक कहा गया है। इनकी उपासना से रोग मुक्ति का उपाय बताया जाता है। माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी से संबंधित कथा का उल्लेख ग्रंथों में मिलता है। कथा के अनुसार श्रीकृष्ण के पुत्र शांब को अपने शारीरिक बल और सौष्ठव पर बहुत अधिक अभिमान हो गया था। अपने इसी अभिमान के मद में उन्होंने दुर्वासा ऋषि का अपमान कर दिया और शांब की धृष्ठता को देखकर उन्होंने शांब को कुष्ठ होने का श्राप दे दिया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने
शांब को सूर्य भगवान की उपासना करने के लिए कहा। शांब ने आज्ञा मानकर सूर्य भगवान की आराधना करनी आरंभ कर दी, जिसके फलस्वरूप उन्हें अपने कष्ट से मुक्ति प्राप्त हो सकी। इसलिए इस सप्तमी के दिन सूर्य भगवान की आराधना जो श्रद्धालु विधिवत तरीके से करते हैं उन्हें आरोग्य, पुत्र और धन की प्राप्ति होती है। सूर्य को प्राचीन ग्रंथों में आरोग्यकारक माना गया है, इस दिन श्रद्धालुओं द्वारा भगवान सूर्य का व्रत रखा जाता है। आराधना करने से होता है लाभ
पं. लाल मोहन शास्त्री ने बताया कि सूर्य की रोशनी के बिना संसार में कुछ भी नहीं होगा। इस सप्तमी को जो भी सूर्य देव की उपासना तथा व्रत करते हैं उनके सभी रोग ठीक हो जाते हैं। वर्तमान समय में भी सूर्य चिकित्सा का उपयोग आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में किया जाता है।शारिरिक कमजोरी, हड्डियों की कमजोरी या जोड़ों में दर्द जैसी परेशानियों में भगवान सूर्य की आराधना करने से रोग से मुक्ति मिलने की संभावना बनती है ।सूर्य की ओर मुख करके सूर्य स्तुति करने से शारीरिक चर्मरोग आदि नष्ट हो जाते हैं। पुत्र प्राप्ति के लिए व्रत का महत्व
पुत्र प्राप्ति के लिए भी इस व्रत का महत्व माना गया है। इस व्रत को श्रद्धा तथा विश्वास से रखने पर पिता-पुत्र में प्रेम बना रहता है। भविष्यपुराण के अनुसार इस दिन किसी जलाशय, नदी, नहर में सूर्योदय से पूर्व स्नान करना चाहिए।स्नान करने के बाद उगते हुए सूर्य की आराधना करनी चाहिए । भगवान सूर्य को जलाशय, नदी अथवा नहर के समीप खडे़ होकर भगवान सूर्य को अर्ध्य देना चाहिए।