देव सूर्यमंदिर के गुबंद में बढ़ता जा रहा दरार
औरंगाबाद। देश का प्रसिद्ध पौराणिक एवं ऐतिहासिक देव सूर्यमंदिर का अस्तित्व खतरे में हैं। मंि
औरंगाबाद। देश का प्रसिद्ध पौराणिक एवं ऐतिहासिक देव सूर्यमंदिर का अस्तित्व खतरे में हैं। मंदिर के गुंबद में उभरा दरार बढ़ता जा रहा है। गुंबद में दरार कई वर्षों से उभरा है पर इसके प्रति बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड एवं सूर्यमंदिर न्यास समिति का ध्यान नहीं है। पत्थरों को तरासकर बनाया गया सूर्यमंदिर के प्रवेश द्वार पर लगे शिलालेख के पास दो पत्थरों के बीच में दरार बढ़ गया है। मंदिर के गर्भ गृह के प्रवेश द्वार के उपर का ¨बब में दरार उभर आया है। मंदिर के पीछे पत्थर टूट कर गिर रहे हैं। पत्थरों में उभरा दरार मंदिर के अस्तित्व पर खतरे का संकेत दे रहा है। मंदिर बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के अधीन है और इसे देखरेख के लिए बोर्ड के द्वारा न्यास समिति का गठन किया गया है। मंदिर से हर वर्ष लाखों रुपये की आमदनी होती है। मंदिर जिला ही नहीं राज्य की विरासत है पर मंदिर के रखरखाव एवं उभरे दरार के प्रति किसी का ध्यान नहीं है। पूर्व में मंदिर का निरीक्षण करने पहुंचे बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल ने मंदिर के पत्थरों का क्षय होते देख पत्थरों से किसी भी तरह का छेड़छाड़ पर प्रतिबंध लगा दिया था। मंदिर में लोहे का कील गाड़ने पर रोक लगा दी थी। हर वर्ष कार्तिक एवं चैत छठ पूजा के दौरान न्यास समिति के द्वारा मंदिर के अगले भाग की पें¨टग पर रोक लगा दी थी। किशोर कुणाल का कहना था कि पेंट में केमिकल मिला होता है जो पत्थरों को क्षय करता है। मंदिर को केमिकल से सफाई कराने की भी बात कही थी। धार्मिक न्यास बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष के सुझाव पर अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।मंदिर लाखों श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है। हर वर्ष कार्तिक एवं चैत्र मास में देश के कोने कोने से 8 से 10 लाख श्रद्धालु देव पहुंचते हैं और पवित्र सूर्यकुंड में अर्घ्य देते हैं। मंदिर में भगवान सूर्य का दर्शन करते हैं। सूर्य मंदिर के कारण ही देव में जिला प्रशासन एवं पर्यटन विभाग के द्वारा हर वर्ष महोत्सव को आयोजन किया जाता है। न्यास समिति के अध्यक्ष एसडीओ डा. प्रदीप कुमार ने कहा कि मंदिर के गुंबद में दरार की जानकारी उन्हें नहीं मिली है। उभरे दरार को देखा जाएगा और मामले को डीएम के द्वारा धार्मिक न्यास बोर्ड को अवगत कराया जाएगा।