शिक्षकों का छठवें दिन धरना एवं रोषपूर्ण प्रदर्शन जारी
दे। देश के एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने शिक्षक का पद ही समाप्त कर दिया है। बिहार शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति मुख्यमंत्री से पूछना चाहती है कि लगातार 15 साल तक शासन करने के बाद भी आप बिहार को विकास के पथ पर अग्रसर होने के लिए पूंजी की व्यवस्था नहीं किए। हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणीन्याय के साथ विकास केवल एक नारा बन कर रहा है। राज्य सरकार पर जबरदस्त तमाचा है। बिहार सरकार नियोजित शिक्षकों के
बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले राज्यकर्मी के दर्जा की मांग के लिए शिक्षकों का अनिश्चितकालीन धरना रविवार को सातवें दिन भी जारी रहा। धरना का संचालन कमलेश कुमार ने किया। सैकड़ों की संख्या में बीआरसी परिसर मे शिक्षकों ने रोषपूर्ण प्रर्दशन कर मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री के खिलाफ नारेबाजी किया। सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि हमारी जायज मांगों को नही माना गया तो सरकार को इसकी कीमत चुकानी होगी। हम देश का भविष्य बनाते है और हमारा ही भविष्य खराब हो ये हम बर्दाश्त नही करेंगे। सूबे के लिए बहुत ही अच्छा अवसर है कि नियोजित शिक्षकों द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल में अपनी पूर्व की गलतियों से सबक लेते हुए नियोजित शिक्षकों को समान काम समान वेतन दे। देश के एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने शिक्षक का पद ही समाप्त कर दिया है। बिहार शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति मुख्यमंत्री से पूछना चाहती है कि लगातार 15 साल तक शासन करने के बाद भी आप बिहार को विकास के पथ पर अग्रसर होने के लिए पूंजी की व्यवस्था नहीं किए। हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी'न्याय के साथ विकास केवल एक नारा बन कर रहा है। राज्य सरकार पर जबरदस्त तमाचा है। बिहार सरकार नियोजित शिक्षकों के जायज मांग के लिए आंदोलन करने पर शिक्षकों को बर्खास्त करना एवं पुलिस प्रशासन द्वारा प्रताड़ित करना कौटिल्य के भूमि को कलंकित करने के समान है। इस अवसर पर शत्रुध्न यादव, विजय कुमार, प्रमोद कुमार, मुकुल कुमार, हरेंद्र सिंह, हरिमोहन कुमार, शशिरंजन कुमार, प्रमोद कुमार भारती, मनोज कुमार, मृत्युंजय मिश्रा, अबतोरब गूलशन आरा, अरविद कुमार, रंजीत कुमार, क्रांति कुमारी, शानुप्रिया, मनोरमा कुमारी, फरजाना प्रवीण, अनिल कुमार उपस्थित रहे।