सोलर सिस्टम से सदर अस्पताल को नहीं मिली रोशनी
औरंगाबाद । सदर अस्पताल को मॉडल अस्पताल का दर्जा दिया गया है। व्यवस्था बदहाल है। यहां मुख्यमंत्री नव
औरंगाबाद । सदर अस्पताल को मॉडल अस्पताल का दर्जा दिया गया है। व्यवस्था बदहाल है। यहां मुख्यमंत्री नवीनीकरण योजना के तहत 25 अप्रैल 2015 को 24 घंटे रोशनी के लिए सोलर सिस्टम लगाया गया पर आज बेकार पड़ा है। 25 केवीए का 87 सोलर प्लेट लगाया गया है। इसपर सरकार ने करीब दो करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। सरकार का उद्देश्य था कि जनरेटर से बिजली बंद हो और सरकार का राजस्व बचाया जा सकें। सोलर प्लेट व मशीनें लगने के बाद एक सप्ताह भी सही तरीके से नहीं चला और पूरा सिस्टम फेल हो गया। आज सदर अस्पताल में जनरेटर से ही बिजली सप्लाई हो रही है। सोलर प्लेट खराब हो रहा है। तत्कालीन उपाधीक्षक डा. तपेश्वर प्रसाद इसे चालू कराने के लिए कई पत्र सीएस एवं अन्य वरीय अधिकारियों को लिखा था पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सोलर प्लेट अस्पताल के छत की शोभा का वस्तु बनकर रह गया है। अस्पताल प्रबंधन की माने तो प्रतिमाह जेनरेटर में करीब डेढ़ लाख रुपये की डीजल लगती है। बता दें कि अगर आज सोलर प्लेट ठीक रहता तो सरकार का डेढ़ लाख रुपये राजस्व की बचत होती। इस सिस्टम को फेल करने में साजिश की चर्चा जोरों पर है।