दस वर्ष में पूरी नहीं हुई तीन वर्ष की सड़क परियोजना
जीटी रोड का सिक्सलेन कार्य अबतक जिले में शुरू नहीं हो सका है। केंद्र सरकार की एनएचएआइ की यह महत्वपूर्ण सड़क परियोजना है। तीन वर्ष की यह सड़क परियोजना दस वर्ष में पूरी नहीं हो सकी है। वर्ष 2011 में सिक्सलेन कार्य की शुरुआत हुई थी और तीन वर्ष में कार्य को पूरा करने का लक्ष्य एनएचएआइ ने निर्माण कराने वाली कंपनी सीएंडसी आइसोलक्स को दी थी।
जागरण संवाददाता, औरंगाबाद : जीटी रोड का सिक्सलेन कार्य अबतक जिले में शुरू नहीं हो सका है। केंद्र सरकार की एनएचएआइ की यह महत्वपूर्ण सड़क परियोजना है। तीन वर्ष की यह सड़क परियोजना दस वर्ष में पूरी नहीं हो सकी है। वर्ष 2011 में सिक्सलेन कार्य की शुरुआत हुई थी और तीन वर्ष में कार्य को पूरा करने का लक्ष्य एनएचएआइ ने निर्माण कराने वाली कंपनी सीएंडसी आइसोलक्स को दी थी। यह कंपनी बीच में ही कार्य अधूरा छोड़ चली गई। इस कंपनी के कार्य छोड़ने के बाद एनएचएआइ ने सोमा कंपनी को अधूरे कार्य को पूरा कराने का जिम्मा दिया था। कंपनी भी बीच में ही कार्य को अधूरा छोड़ चली गई। अब वेलस्पून कंपनी को अधूरे सिक्सलेन कार्य को पूरा कराने का जिम्मा दिया गया है। कंपनी भी अबतक जिले में कार्य की शुरुआत नहीं की है। कंपनी को दिसबंर 2023 तक कार्य को पूरा करा देने का लक्ष्य दिया गया है पर कंपनी की जो सुस्त चाल है उससे तय लक्ष्य के समय सीमा में कार्य पूरा नहीं होगा। कंपनी को अप्रैल 2021 में अधूरे कार्य को पूरा कराने का जिम्मा दी गई है। बताया गया कि यह कंपनी तीन कंपनियों को कार्य कराने का जिम्मा सौंपी है। जिस कंपनी को कार्य सौंपी गई है वे यहां आ नहीं सके हैं। परियोजना पर 2,400करोड़ होनी है खर्च
जीटी रोड के सिक्सलेन कार्य पर अब 24,000 रुपये खर्च होनी है। 2011 में कार्य की शुरुआत हुई थी तब करीब यह सड़क परियोजना वाराणसी से लेकर औरंगाबाद तक 3000 करोड़ थी। सिक्सलेन कार्य पर करीब 1400 करोड़ खर्च हो चुकी है। कार्य के समय पर पूरा नहीं होने के कारण अब यह सड़क परियोजना करीब 2,400 करोड़ की हो गई है। बताया गया कि अगर यह कंपनी भी समय पर कार्य पूरा नहीं करेगी तो लागत भी बढ़ेगी। कई जगहों पर बनेगा अंडरपास व फुटओवरब्रिज
जीटी रोड के सिक्सलेन कार्य के तहत बारुण से लेकर शिवगंज तक यात्रियों की सुगमता और सुरक्षा के लिए कई जगहों पर अंडरपास एवं फुटओवरब्रिज का निर्माण कराया जाएगा। देव मोड़ पर देव सूर्यमंदिर का बोर्ड लगाया जाएगा। गतिसीमा, धार्मिक एवं तिर्थस्थल, विद्यालय, पुलिस एवं एनएचएआइ की हेल्पलाइन नंबर के अलावा अन्य प्रकार के संकेतक बोर्ड लगाए जाएगें। कहते हैं परियोजना निदेशक
एनएचएआइ के परियोजना निदेशक योगेश नारायण गढ़वाल ने बताया कि अगले एक या सवा माह में औरंगाबाद में कार्य शुरू हो जाएगा। दिसबंर 2023 तक कार्य को पूरा कराने का जिम्मा वेलस्पून कंपनी को दिया गया है। कंपनी ने कार्य कराने के लिए तीन अलग अलग कंपनियों को जिम्मा दी है। जो कंपनी को जिम्मा दी गई है नहीं आने के कारण कार्य प्रारंभ करने में विलंब हो रहा है।