अतिक्रमण के जाल में फंसी तालाब की जमीन, पवित्र ब्रह्मकुंड में 10 साल पहले तक भरा रहता था पानी
देव अंचल के पवित्र कुंडों में से एक ब्रह्मकुंड पर इस कदर अतिक्रमण किया गया कि अब तालाब की जमीन को पहचानना मुश्किल हो गया है। ग्रामीण कहते हैं कि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद भी यहां से अतिक्रमण नहीं हटाया गया जिस कारण तालाब विलुप्त हो गया।
औरंगाबाद, जागरण संवाददाता : देव अंचल के ऐतिहासिक और पवित्र सूर्यकुंड के बगल में सरकारी ब्रह्मकुंड का वजूद अब समाप्त हो चुका है। दरअसल यहां सूर्य मंदिर में विद्यमान भगवान सूर्य के तीन स्वरूप ब्रह्मा, विष्णु और महेश के नाम पर तीन पवित्र कुंड हुआ करते थे। क्षेत्र में सूर्यकुंड के बगल में रूद्रकुंड मौजूद है लेकिन ब्रह्मकुंड की जमीन का गलत जमाबंदी कर देने से आज गुम हो गया है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि सूर्यकुंड के बगल में ही ब्रह्मकुंड था। ब्रह्मकुंड से ही सूर्यकुंड में पानी जाता था। देव के पूर्व मुखिया भरत ठाकुर बताते हैं कि पूर्व के सीओ ने इस तालाब की जमीन की गलत जमाबंदी कराई जिससे इसका वजूद समाप्त हो गया। हाइ कोर्ट ने कुंड की जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने का भी आदेश दिया था पर अतिक्रमण नहीं हटाया गया जिसका परिणाम आज हमारे सामने है।
2 एकड़ क्षेत्र में फैला था ब्रह्मकुंड
दो एकड़ में फैले ब्रह्मकुंड में आज से 10 वर्ष पहले तक पानी भरा रहता था। देव में गैरमजरूआ मालिक सरकारी जमीन का दाखिल खारिज का भी एक मामला सामने आया है। मामला एलआरडीसी के न्यायालय में है। हालांकि सीओ आशुतोष कुमार बताते हैं कि उन्हें ब्रह्मकुंड की जानकारी नहीं है। इसी अंचल में एक सरकारी तालाब की गलत जमाबंदी का मामला एडीएम के न्यायालय में चल रहा है। एडीएम आशीष कुमार सिन्हा ने बताया कि जिले में सरकारी जमीन का गलत जमाबंदी का मामला है। उनके न्यायालय में भी इस तरह का मामला चल रहा है। कुछ मामलों में कार्रवाई भी की गई है।