अब तक नहीं खुला आइसीयू का ताला
सदर अस्पताल के आइसीयू में इलाज का सपना पूरा नहीं हो सका है। 21 अप्रैल 2017 को आइसीयू का उ
सदर अस्पताल के आइसीयू में इलाज का सपना पूरा नहीं हो सका है। 21 अप्रैल 2017 को आइसीयू का उद्घाटन किया गया। 24 माह बीत गया परंतु अब तक इलाज नहीं हो सका। आइसीयू में ताला लटका है। उद्घाटन के समय आइसीयू के बारे में लंबे वादे किए थे पर आज हालत बदतर है। आइसीयू के निर्माण पर पावरग्रिड के द्वारा करीब एक करोड़ 77 लाख रुपये खर्च किया गया, पर इसका लाभ यहां के मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। विभाग चिकित्सक की कमी बता रहा है। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. कुमार मनोज ने बताया कि आइसीयू को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक फरजिशियन, एक सर्जन, दो एमबीबीएस चिकित्सक, एक मुर्क्षक, ए-ग्रेड के 13 नर्स, 2 बायोमेडिकल टेक्निशियन, एक इलेक्ट्रीशियन, 4 वार्ड कर्मी एवं पांच सुरक्षा गार्ड की आवश्यकता है। न चिकित्सक उपलब्ध है न नर्स। बताया कि सरकार द्वारा आइसीयू के लिए तीन चिकित्सकों भेजा गया था परंतु चिकित्सक के द्वारा योगदान नहीं किया गया। योगदान नहीं देने के कारण आइसीयू शुरू नहीं हो सका। बता दें कि आइसीयू के लिए जो बेड चाहिए वह भी उपलब्ध नहीं है। साधारण बेड लगा दिया गया है। चिकित्सक, टेक्निशियन एवं अन्य कर्मियों को उपलब्ध कराने के बाद विभाग को कई बार पत्र भेजा गया है। इसे चलाने के लिए एक हर्ट चिकित्सक चाहिए जो सदर अस्पताल में पदस्थापित नहीं है। सदर अस्पताल में इसीजी मशीन है। प्रशिक्षित चिकित्सक नहीं होने के कारण करीब एक वर्ष से बंद है। एक करोड़ का आया है सामान
आइसीयू के उद्घाटन के बाद करीब एक करोड़ का सामग्री आइसीयू संचालित करने के लिए लाया गया परंतु सब बेकार हो रहे हैं। मशीन में जंग लग रही है। सरकार द्वारा मरीजों के इलाज पर करोड़ों रुपये खर्च की जा रही है परंतु उसका लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है। आइसीयू का निर्माण तो हो गया परंतु चिकित्सक नहीं है। अब सोचा जा सकता है कि यहां चिकित्सक हैं नहीं तो इलाज कौन करेगा। बताते चलें कि शहर के बीचोबीच जीटी रोड पार करने के कारण हर दिन सड़क दुर्घटनाएं होती रहती है। आइसीयू की सुविधा नहीं मिलने के कारण चिकित्सक मरीज को रेफर कर देते हैं। आइसीयू को शुरू कराने के लिए जनप्रतिनिधियों का रवैया उदासीन है। बिजली विभाग को भुगतान होगा 2.5 लाख
आइसीयू में 24 माह से ताला लटका हुआ है। उद्घाटन के बाद इलाज नहीं हुआ परंतु करीब दो लाख 50 हजार रुपये बिजली बिल का भुगतान कर दिया गया। बात सोचने वाली यह है कि अगर आइसीयू शुरू नहीं हुआ तो 2.5 लाख रुपये बिजली बिल आया कहां से। बता दें कि अगर पूरे आइसीयू बनाने से लेकर अब तक की मामले की जांच की जाएगी तो कई लोग फंस सकते हैं। आइसीयू आकस्मिक मरीजों की इलाज के लिए बनाया गया है परंतु इसका लाभ नहीं मिल रहा है। आइसीयू शुरू कराने के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है। चिकित्सक की कमी के कारण बंद है। शीघ्र आइसीयू शुरू कराने का प्रयास किया जा रहा है।
डॉ. अमरेंद्र नारायण झा, सीएस, औरंगाबाद।