Move to Jagran APP

Son River : बालू से खनन विभाग को हुई 224 करोड़ की आमदनी, फिर भी सोन के बचाव पर खर्च नहीं होती राशि

सोन से खनन विभाग को 224 करोड़ आमदनी हुई है। वहीं उस नदी को बचाने के नाम पर विभाग कोई राशि खर्च नहीं कर पाती है। यही स्थिति के कारण सोन का भी वजूद समाप्त होता जा रहा है। नदी के बीच में बालू की जगह मिट्टी जंगल और झाड़ का रुप ले लिया है। इसके बचाव की जिम्मेवारी बाढ़ नियंत्रण और पर्यावरण सरंक्षण की है।

By Manish Kumar Edited By: Mukul Kumar Published: Thu, 25 Apr 2024 04:14 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2024 04:14 PM (IST)
सोन में बालू के लिए जाते ट्रक।

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। सोन से खनिज विभाग को इस वर्ष मार्च माह तक 224 करोड़ राजस्व की प्राप्ति हुई है। सोन से खनन होने वाली बालू से यह राजस्व विभाग को प्राप्त हुआ है। जिस नदी से विभाग को एक वर्ष में 224 करोड़ राजस्व की प्राप्ति हुई है पर उस नदी को बचाने के नाम पर विभाग कोई राशि खर्च नहीं कर पाती है। यही स्थिति के कारण सोन का भी वजूद समाप्त होता जा रहा है।

loksabha election banner

नदी के बीच में बालू की जगह मिट्टी, जंगल और झाड़ का रुप ले लिया है। नदी के सरंक्षण और खनन क्षेत्र के विकास के लिए सरकार ने जिला खनिज फाउंडेशन बनाया और प्राप्त होने वाली राजस्व का दो प्रतिशत राशि इस फाउंडेशन के तहत खनन क्षेत्र का विकास और नदी के सरंक्षण पर खर्च करने का प्रावधान बनाया गया है पर फाउंडेशन की राशि भी नदी के बचाने और खनन क्षेत्र के विकास पर खर्च नहीं हो पाती है।

टीम की अनुशंसा और डीएम की स्वीकृति पर ही राशि खर्च होती

राशि को खनन क्षेत्र के बाहर के क्षेत्र में खर्च की जाती है। राशि खर्च के लिए डीएम की अध्यक्षता में टीम गठित की गई है। टीम की अनुशंसा और डीएम की स्वीकृति पर ही राशि खर्च होती है।

खनन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, फाउंडेशन की राशि नदी के सरंक्षण, पर्यावरण सरंक्षण और खनन क्षेत्र का विकास पर खर्च करने का प्रावधान है। खनन विभाग में नदी के बचाव को लेकर कोई योजना नहीं है। बाढ़ नियंत्रण पर्षद को नदी बचाव को लेकर कुछ काम करने की जिम्मेवारी है।

नदी के बचाने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं

पर्यावरण सरंक्षण के लिए बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद है। नदी बचाने को लेकर आंदोलन करने वाले संजीव नारायण सिंह कहते हैं कि जिला खनिज फाउंडेशन की राशि न तो नदी के सरंक्षण पर खर्च होती है न खनन क्षेत्र के विकास पर।

जनप्रतिनिधियों की अनुशंसित योजना से लेकर डीएम के द्वारा चयनित योजनाओं पर राशि खर्च होती है। बताया कि बाढ़ नियंत्रण से लेकर प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के द्वारा नदी के बचाने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। सब सेटिंग के तहत अपनी कार्य कर रहे हैं।

जिला खनिज विकास पदाधिकारी विकास कुमार पासवान ने बताया कि नदी के बचाव को लेकर खनन विभाग का कोई योजना नहीं है।

सरकारी ने जिला खनिज फाउंडेशन बनाया है और इसके तहत खनन क्षेत्र का विकास की योजनाएं कार्यान्वित कराई जाती है। खनन क्षेत्र में पौधे लगाए जाते हैं। नदी के बचाव की जिम्मेवारी बाढ़ नियंत्रण और पर्यावरण सरंक्षण की जिम्मेवारी प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की है।

यह भी पढ़ें-

Jharkhand : तेजस्‍वी के न्‍योते पर बिहार चले इरफान अंसारी, पार्टी से कहा- अब झारखंड में नहीं करूंंगा चुनाव प्रचार

JEE Mains 2024 : धनबाद से 155 छात्रों को मिला जेईई एडवांस का टिकट, सफल हुए तो मिलेगी IIT ISM जैसे संस्‍थानों में एंट्री


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.