मानव संसाधन के अभाव में बेकार अस्पताल
औरंगाबाद । अनुमंडल अस्पताल दुर्दशा का दंश झेल रहा है। इसकी व्यवस्था देख सरकार के काम क
औरंगाबाद । अनुमंडल अस्पताल दुर्दशा का दंश झेल रहा है। इसकी व्यवस्था देख सरकार के काम करने के तरीके से नाराजगी बढ़ जाएगी। करोड़ों की लागत से अस्पताल का भवन बना है। लाखों रुपये इलाज के लिए आवश्यक संसाधनों पर खर्च किया गया है। अन्य सुविधाओं पर भी राशि खर्च किया गया है। अनुमंडल मुख्यालय में विशेषज्ञ चिकित्सकों की सुविधा बहाल करने के लिए इसे बनाया गया। मुख्यमंत्री रहते जीतन राम माझी ने 29 जनवरी 2015 को इसका उद्घाटन किया था। तब उम्मीद जगी थी कि अब शीघ्र ही व्यवस्था बदलेगी किंतु ऐसा नहीं हुआ। माझी जी का यह अंतिम कार्यक्रम बन गया। उनके बाद पुन: सीएम बने नीतीश कुमार तो उम्मीद एक बार फिर से बढ़ी। इनके सीएम बने नौ माह बीत गया। स्थिति यथावत नहीं रही, बल्कि प्रतिनियुक्त सभी कर्मियों को वापस ले लिया गया। प्रतिनियुक्ति वापस ले लेने से अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है। स्थिति यह है कि मानव संसाधन का घोर अभाव है। गुरुवार को इलाज करते चिकित्सक डा. विक्रम सिंह ने बताया कि फर्मासिस्ट नहीं होने के कारण दवा भी चतुर्थवर्गीय कर्मी को वितरण करना पड़ता है। कहा कि कार्य से संतुष्टि नहीं मिलती। मरीज आवश्यक जाच भी नहीं करा सकते। यहा न तो एएनएम ए ग्रेड हैं, न ही ड्रेसर, न लैब टेक्निशियन ही है। इस कारण 24 गुणा 7 सेवा नहीं संभव हो रहा है। अस्पताल प्रबंधक ठाकुर चंदन सिंह ने बताया कि किसी तरह ओपीडी चलाया जा रहा है। डा. विक्रम सिंह और डा. गयानंद चौपाल को पदस्थापित किया गया है।
चिकित्सकों को वेतन नहीं
दाउदनगर (औरंगाबाद) : अनुमंडल अस्पताल में पदस्थापित दो चिकित्सकों डा. विक्रम सिंह और डा. गयानंद चौपाल को जून 2015 से वेतन का भुगतान नहीं हो पाया है। डा. सिंह ने बताया कि पदस्थापना तो कर दी गई किंतु यहा कोई पद स्वीकृत नहीं है। इस कारण उन्हें वेतन का भुगतान नहीं हो रहा है। महत्वपूर्ण है कि इस अस्पताल के लिए किसी भी तरह का कोई पद स्वीकृत सरकार ने अभी तक नहीं किया है। उम्मीद की जा रही है कि चुनाव बाद गठित नयी सरकार इस दिशा में कुछ कर सकेगी।
प्रभारी हैं डीएस
दाउदनगर (औरंगाबाद) पीएचसी के प्रभारी डा. दिलचंद चौधरी ही अनुमंडल अस्पताल के डीएस (उपाधीक्षक) हैं। इस कारण उन्हें परेशानी होती है। अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है किंतु जिला स्तरीय अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।