मिट्टी के दीये खरीदकर कुम्हारों के घरों को भी करें रोशन
औरंगाबाद। जिले में रोशनी के पर्व दीपावली के त्योहार में अब कुछ दिन का ही समय शेष बचा है। दीपावली पर बिकने वाले मिट्टी के दीपक लगभग बन कर तैयार हो चुके हैं। मिट्टी को चाक पर काटकर उसे चंद मिनटों में अलग-अलग आकार देना कुम्हारों की विशेष कला है।
औरंगाबाद। जिले में रोशनी के पर्व दीपावली के त्योहार में अब कुछ दिन का ही समय शेष बचा है। दीपावली पर बिकने वाले मिट्टी के दीपक लगभग बन कर तैयार हो चुके हैं। मिट्टी को चाक पर काटकर उसे चंद मिनटों में अलग-अलग आकार देना कुम्हारों की विशेष कला है। दरअसल दीपावली पर घर, दुकान व प्रतिष्ठानों में घी का दीपक जलाने का रिवाज पुराना है। ऐसी मान्यता है कि दीपावली की रात धन की देवी लक्ष्मी भ्रमण करती हैं। लक्ष्मी को प्रसन्न करने को घर दुकान व प्रतिष्ठानों में घी के दीपक जलाकर रोशन करते हैं। इस बार सभी संकल्प लें, रोशनी के पर्व पर मिट्टी के दीपक खरीदकर कुम्हारों की मेहनत को सफल करने के साथ ही उनके भी घर रोशन करेंगे। महंगाई पड़ सकती है भरी
महंगाई के दौर में सरसों के तेल से दीप जलाने में जेब हल्की हो सकती है। बाजार से लाई गई मोमबत्ती माचिस की एक तीली से जल उठती है। ऐसे में कोई मुसीबत मोल नहीं लेना चाहेगा। ऐसे में विद्वान भी मानते हैं कि सरसों के तेल का उपयोग महज अखंड ज्योति जलाना श्रेष्ठ होता है। दीपावली की रात मिट्टी के दीपक में तिल का तेल जलाना श्रेयस्कर है। पर्यावरण की ²ष्टिकोण से हितकर है, क्योंकि हर शास्त्रों में इन्हें पवित्र माना गया है। सरसों के तेल की अपेक्षा तिल का तेल सस्ता है। ऐसे में यह बेहतर विकल्प भी है। खर्च में खास नहीं होगा अंतर
आम तौर पर दीपावली की रात को रोशन करने के लिए घरों के छत, खिड़की व दरवाजे पर मोमबत्तियां जलाई जाती है। जानकारों का मानना है कि अच्छे गुणवत्ता वाली मोमबत्तियां बीस रुपये में एक पैकेट आती है। इसमें 10 से 12 मोमबत्तियां आती हैं। एक घर में औसतन चार से पांच पैकेट मोमबत्ती आती है। इतने में एक किलो तिल का तेल आ सकता है। मोमबत्तियों के बराबर इतनी रोशनी देने में आधा किलो तिल का तेल सक्षम है। इसमें मिट्टी का दिया भी आ जाएगा। घर में जलाएं सरसों तेल के दीये : प्रो. ज्ञानेश्वर
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अनुग्रह मेमोरियल कालेज के प्रो. ज्ञानेश्वर सिंह ने बताया कि लोगों को पटाखे जलाने के बजाय अपने घर को सरसों तेल के दीये जलाना चाहिए। इससे न सिर्फ हम अपनी सभ्यता और संस्कृति को बचाए रख सकते हैं बल्कि पटाखे जलाने से होने वाले वायु और ध्वनि प्रदूषण के साथ ही फैलने वाली गंदगी को भी रोक सकते हैं। दीपावली में पटाखे जलाकरअपने माता-पिता द्वारा बड़ी मेहनत से जमा किया गया धन व्यर्थ जला देते हैं। उस धन का उपयोग जनकल्याण के कार्य में कर हम जरूरतमंदों की मदद कर सकते हैं। दीये के धुआं से कीड़े-मकोड़े होते हैं खत्म : रामानुज
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नागरिक रामानुज पांडेय ने बताया कि दीपावली पर सरसों के तेल में जलाए गए दीये से निकले धुएं से मच्छर व हानिकारक कीड़े-मकौड़े खत्म हो जाते हैं। वहीं, यह धुआं इंसानों को कोई हानि नहीं पहुंचाता है। तेल के दीये की लौ पर नियमित रूप से ध्यान लगाया जाय तो इससे मानसिक शांति के साथ ही आंखों की रोशनी बढ़ती है और एकाग्रता आती है। यह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के लिए आवश्यक है। वहीं, इन दीयों से तैयार काजल भी आंखों के लिए फायदेमंद होता है।