बाजार में ईद के मौके पर सजी दुकानें
औरंगाबाद । ईद आज है। ईद को लेकर बाजार में रौनक रही। शुक्रवार को रमजान के जुमे की अलविदा नमाज पढ़ी ग
औरंगाबाद । ईद आज है। ईद को लेकर बाजार में रौनक रही। शुक्रवार को रमजान के जुमे की अलविदा नमाज पढ़ी गई। नमाज के समय भीड़ रही। शहर के पुरानी जीटी रोड जामा मस्जिद के पास नमाज पढ़ने को लेकर भीड़ रही। 12 से लोग आने लगे थे। 1.30 बजे सामूहिक नमाज अदा की गई। शाम को ईद का चांद देखने को लेकर उत्साह रहा। नमाज के समय जामा मस्जिद के पास सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध किया गया था। नगर थानाध्यक्ष राजेश वर्णवाल स्वयं सुरक्षा का कमान संभाले हुए थे। ईद को लेकर शाम में बाजार में भीड़ रही। सामानों की खरीदारी के लिए जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण इलाकों के बाजारों में चहल-पहल रही। दो दिनों से बाजार में भीड़ हो रही है। गर्मी की तपिश के बावजूद भीड़ रही। कपड़े, सेवई, राशन, श्रृंगार, फल समेत अन्य दुकानों पर विशेष भीड़ देखी गई। सेवइयों की खरीदारी में लोग जुटे हुए हैं। बाजारों में देर रात तक खरीदारी की जा रही है। बाजार में सेवइयां, कपड़े, इत्र, मिट्टी के प्याले, ड्राई फ्रूट, टोपी समेत विभिन्न सामग्रियों की खरीदारी में लोग लगे हुए हैं। महिलाएं भी खरीदारी में पीछे नहीं है। बाजार में महिलाएं खरीदारी करती दिखी। बैंकों एवं एटीएम में रही भीड़
बैंकों में भी ईद को लेकर भीड़ रही। ईद की सामग्री खरीदारी को लेकर सुबह से ही रुपये निकालने को लेकर एटीएम में कतार लग गई। कुछ ही एटीएम में पैसे थे जिस कारण भीड़ रही। ग्रामीण क्षेत्रों के एटीएम में राशि नहीं होने पर लोग शहरों की तरफ दौड़े। ईदगाह के पास की गई सफाई
ईद की नमाज अदा करने के लिए ईदगाहों और मस्जिदों को सजाने-संवारने का काम तेजी किया गया। ईदगाहों की सफाई में सामाजिक कार्यकर्ता एवं मजदूर लगे हुए हैं। मस्जिदों की रंग-रोगन, सफाई के अलावा झालर और झंडे से सजाया जा रहा है। ईदगाह और मस्जिद में ईद के दिन नमाज पढ़ने वालों की उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए कालीन की खरीदारी की गई है। निर्माणाधीन ईदगाह और मस्जिद मे निर्माण कार्य तेज कर दिया गया है। उधर प्रशासन ने भी ईद को शांति एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न कराने की तैयारी कर ली है। हर घर सेवई का रहेगा जलवा
ईद के दिन मेहमानों की खातिरदारी सेवई के साथ करने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। हर साल की तरह इस साल भी बाजार में कई तरह के सेवई उपलब्ध है। किमामी, रुमाली रंग-बिरंगे लच्छा के अलावा परंपरागत मोटी सेवई, जर्दा सेवई ईद के दिन बनाई और खिलाई जाती है। बनारस की किमामी को विशेष पसंद किया जाता है। दूध की कमी के कारण इसने अपनी जगह बना ली है। पगार मिले बिना कैसे मनेगी ईद
ईद के से पहले सरकार ने नियोजित शिक्षकों को वेतन भुगतान करने का आश्वासन दिया था। शिक्षकों को उम्मीद थी कि वेतन मिलेगा पर नहीं मिला।इस बार बिना वेतन के ईद कैसे कटेगी सोचा जा सकता है। वेतन के अभाव में शिक्षकों के घर ईद की मिठास फीकी रहेगी। अप्रैल 18 से ही नियोजित शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है। शिक्षक नेता रमेश कुमार ¨सह एवं अशोक पांडेय ने बताया कि सरकार शिक्षकों पर ध्यान नहीं देती है। ईद के मौके पर वेतन न मिलना दुख की बात है। ईद अल्लाह का अनमोल तोहफा
एक महीने तक रमजान का रोजा रखने के बदले अल्लाह ने रोजेदारों को ईद का अनमोल तोहफा दिया। अल्लाह की तरफ से यह उनके लिए एक इनाम है, जिन्होंने अल्लाह के हुकम के मुताबिक रोजे रखें और दिन रात परहेज कर अल्लाह की इबादत में गुजारा। ईद का मतलब खुशी
ईद का अर्थ खुशी होता है। इसी संदर्भ में वार्ड पार्षद खुर्शीद अहमद कहते हैं कि वास्तव में रमजान में अल्लाह अपने बंदों को बेशुमार नेमतें अता करते हैं। हर नेकी का सवाब रमजान में बढ़ाकर मिलता है। नेकी कर बेशुमार सवाब हासिल करने और रमजान के रोजे पूरे करने की खुशी ईद के तौर पर मनाई जाती है। बताया कि जिसने रमजान के पूरे रोजे रखे हों, यह दिन रोजा तोड़ने वाली खुशी का दिन है। समाज में बराबरी का संदेश
ईद समाज में बराबरी का संदेश लेकर आता है। अमीरी-गरीबी की दीवार गिर जाती है। राजा-प्रजा दोस्त-दुश्मन सभी ईदगाह जाते हैं और एक साथ ईद की नमाज अदा करते हैं। गले मिलकर एक दूसरे को बधाई देते हैं। इस तरह ईद का त्यौहार समाज को बराबरी का संदेश देता है। ईद शिकवे गिले दिल से निकाल देने और प्यार मोहब्बत के साथ मिलकर जीवन यापन करने की सीख दे जाता है। नावाडीह के नौशाद आलम एवं पठान टोली के खान इमरोज कहते हैं कि ईद की खुशी में हमें गरीबों को नहीं भूलना चाहिए। इस खुशी में उन्हें भी शामिल करना चाहिए। फितरा और जकात देकर गरीबों की मदद करने की इस्लाम ने व्यवस्था बनाई है। क्या है फितरा व जकात :
शरीयत के मुताबिक माल का एक हिस्सा अल्लाह के लिए किसी फकीर को मालिक बना दिया जाने को जकात कहा जाता है। जकात जिन पर फर्ज है उन्हें अदा करने की इस्लाम में सख्त ताकीद की गई। सदका ए फितर ईदगाह जाने के पहले अदा करने का हुक्म है। हर मालिक को अपनी तरफ से खुद नाबालिग औलाद और परिवार के सदस्यों की तरफ से सदका ए फितर अदा करनी चाहिए।