42 माह से बंद पड़ा सदर अस्पताल में आइसीयू
सदर अस्पताल में इलाज का सपना पूरा नहीं हुआ । 21 अप्रैल 2016 को आइसीयू का उद्घाटन किया गया था। उद्घाटन के 42 माह बीत गए परंतु अब तक एक भी मरीजों का इलाज नहीं हो सका। चिकित्सक एवं अन्य कर्मियों का पदस्थापन नहीं होना। आइसीयू में ताला लटका है। आइसीयू के अंदर कक्ष में सामान रखा गया है। सामान बिखरा पड़ा है।
सदर अस्पताल में इलाज का सपना पूरा नहीं हुआ । 21 अप्रैल 2016 को आइसीयू का उद्घाटन किया गया था। उद्घाटन के 42 माह बीत गए परंतु अब तक एक भी मरीजों का इलाज नहीं हो सका। चिकित्सक एवं अन्य कर्मियों का पदस्थापन नहीं होना। आइसीयू में ताला लटका है। आइसीयू के अंदर कक्ष में सामान रखा गया है। सामान बिखरा पड़ा है।
उद्घाटन के समय लंबे वादे किए गए थे पर आज हालात बद से बदतर है। आइसीयू के निर्माण पर पावर ग्रिड के द्वारा करीब एक करोड़ 77 लाख रुपये खर्च की गई है। निर्माण के बाद एक करोड़ रुपये की समान की खरीदारी हुई है। दो करोड़ 77 लाख रुपये आइसीयू पर खर्च हो गए परंतु अब तक एक रुपया का भी लाभ मरीजों को नहीं मिल सका है। विभाग चिकित्सकों की कमी की बात कह पल्ला झाड़ लेता है। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी डा. कुमार मनोज ने बताया कि आइसीयू को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए एक फीजिशियन, एक सर्जन, दो एमबीबीएस चिकित्सक, एक मूर्क्षक, ए-ग्रेड के 13 नर्स, दो बायोमेडिकल टेक्निशियन, एक इलेक्ट्रिशीशियन, चार वार्ड बॉय एवं पांच सुरक्षा गार्ड की आवश्यकता है।
विभाग के द्वारा न तो चिकित्सक उपलब्ध कराया गया है और न ही नर्स। कर्मियों का पदस्थापन नहीं किया गया है, इस स्थिति में आइसीयू का संचालन करना संभव नहीं है। चिकित्सक, नर्स एवं अन्य कर्मियों के पदस्थापन को लेकर विभाग को दस बार से अधिक पत्र लिखा गया है परंतु कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है। इसे चलाने के लिए एक हर्ट चिकित्सक चाहिए जो सदर अस्पताल में पदस्थापित नहीं है। बताया कि सदर अस्पताल में ईसीजी मशीन है परंतु प्रशिक्षित चिकित्सक नहीं होने के कारण बंद पड़ा है। बता दें कि सदर अस्पताल में 42 माह से आइसीयू बंद है परंतु करीब एक वर्ष पहले 2.5 लाख रुपये विभाग के द्वारा बिजली विभाग को भुगतान कर दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि बिना आइसीयू संचालन के बिजली बिल का भुगतान कैसे हो गया। सबसे बड़ा सवाल तो यह खड़ा होता है कि आखिर अब कब आइसीयू खुलेगा।