मातम ऐसा कि कोना-कोना चीखता रहा, दर-ओ-दीवार बिलखते रहे
औरंगाबाद। एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत की खबर क्या पहुंची, गोया लबदना गांव पर वज्र
औरंगाबाद। एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत की खबर क्या पहुंची, गोया लबदना गांव पर वज्रपात हो गया हो। सच्चिदानंद सिंह के परिजन दहाड़ मारकर रोने लगे। उनके चीत्कार से गांव का कोना-कोना बिलख उठा। घरों में चलते चूल्हे बुझा दिए गए। अविरल बहती आंखें उस रास्ते पर टिकी हुई थीं, जिससे होकर पांचों शव गांव लाए जाने थे। दरवाजे पर जुट आए ग्रामीण सच्चिदानंद सिंह के परिजनों को ढांढस बंधाते रहे, लेकिन अपनी बहती आंखों को रोक नहीं पा रहे थे। किस्मत की दुहाई देते हुए हर कोई वक्त को कोस रहा था। बुधवार को दरवाजे पर लाडली बिटिया की बरात आई थी। शनिवार को उसी घर में मातम की मनहूस खबर। परिजनों के साथ सच्चिदानंद बुधवार सुबह हंसते हुए बोकारो के लिए निकले थे। उनके दोनों भाई अपनी किस्मत को कोस रहे। बिंदेश्वरी प्रसाद सिंह उनके बड़े भाई हैं। अपने जीते-जी छोटे भाई के साथ पुत्र चंचल, पुत्रवधू और पौत्र की मौत से कलेजा फटे जा रहा। आंखें जार-जार हैं। दुख इतना गहरा कि जुबान पर बोल तक नहीं आ रहें। हर सांस में एक आह अटकी हुई है। सच्चिदानंद के दूसरे भाई सतीश ¨सह हैं। बुधवार को उनकी बेटी पल्लवी उर्फ ¨शपू की शादी हुई थी। इसी समारोह में भाग लेने के लिए सभी बोकारो से घर आए थे। गुरुवार को बरात विदा हुई। दूसरे नाते-रिश्तेदारों की विदाई के बाद सच्चिदानंद बोकारो लौट रहे थे। वे वहां स्टील प्लांट में सीनियर सुपरवाइजर के पद पर काम कर चुके थे। उनकी नेकनीयती का हवाला देते ग्रामीण रुंधे गले से शोक प्रकट करते रहे। चंचल तो हर सामाजिक कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले युवक थे। उन सबकी अकाल मौत ने गांव निस्तब्ध है।