कभी गुलजार था अब गुमनाम हो गया नाम
अंबा स्थित उच्च विद्यालय चिल्हकी शिक्षा एवं संसाधन के क्षेत्र में ।
ओमप्रकाश शर्मा, अंबा, औरंगाबाद।
अंबा स्थित उच्च विद्यालय चिल्हकी शिक्षा एवं संसाधन के क्षेत्र में जिले का चमकता शिक्षा केंद्र था। कभी यह विद्यालय गुलजार था अब गुमनाम हो गया है। यह विद्यालय 90 के दशक के बाद आनेवाले शिक्षकों का शिकार बन अपना पुराने दौर को खो दिया। हालांकि सरकार के शिक्षा विभाग ने इसे प्लस टू उच्च विद्यालय का दर्जा देने में कोताही नहीं की पर संसाधन एवं योग्य शिक्षकों की कमी से सभी परेशान हैं। विद्यालय सदमे के दौर से गुजर रहा है। ऐसी बात नहीं कि यहां पढ़ाई नहीं होती, संसाधन की घोर कमी है लेकिन 90 के दशक के बाद विद्यालय में जो दौर शुरू हुआ उसकी काली छाया अब भी हावी है। वर्ष 1953 में जब विद्यालय की स्थापना हुई थी औरंगाबाद जिला नहीं था। यह जिला गया जिले का अंग था। कम जनसंख्या होने के बावजूद चिल्हकी गांव निवासी महाराज पांडेय ने इलाके में शिक्षा का अलख जगाने के लिए विद्यालय की स्थापना की थी। तब विद्यालय में संसाधन का अभाव नहीं था। विद्यालय का अपना खेल मैदान है जो प्रखंड मुख्यालय का सरताज है।
क्या-क्या थे संसाधन
पचास के दशक में प्रथम प्रधानाध्यापक भजुराम शर्मा बनाए गए थे। उनके कार्य की चर्चा अब भी बुजुर्ग करते हैं। बताया जाता है कि वे सभी विषयों पर अपनी पकड़ रखते थे। योग्य शिक्षकों को विद्यालय में योगदान कराया था। विद्यालय के पास पर्याप्त कमरा, बिजली उपकरण, पुस्तकालय, खेल, मनोरंजन सामग्री, सोफा पानी टंकी, मोटर, विज्ञान प्रयोगशाला के साथ पर्याप्त फर्नीचर की व्यवस्था थी। सरकारीकरण के बाद यहां के एचएम ब्रह्मदेव शर्मा को बनाया गया। विषयों के शिक्षकों को कसौटी पर जांच परख कर विद्यालय में योगदान कराया। कहा जाता है कि उस वक्त के शिक्षक इन्द्रदेव शर्मा भौतिक व रसायन विज्ञान के जिले के सर्वोच्च शिक्षक थे। अंग्रेजी बिषय के ज्ञाता खुद एचएम थे। गणित शिक्षक स्व. ब्रजकिशोर ¨सह, हिन्दी शिक्षक जय प्रकाश नारायण शर्मा अपने अपने विषय के मर्मज्ञ माने जाते थे।
1990 के बाद विद्यालय में आया बदलाव
बिहार सरकार ने 1990-92 में शिक्षकों का तबादला कर दिया। यहां के योग्य शिक्षक को हटाकर दूसरे स्थान पर भेज दिया गया। जो शिक्षक आए वे विद्यालय के संसाधन को कमजोर करने में कसर नहीं छोड़ा। धीरे धीरे विद्यालय का संसाधन कहां चला गया पता नहीं चला। पुस्तकालय की पुस्तकें, विज्ञान प्रयोगशाला के उपकरण, फर्नीचर, बिजली उपकरण, मोटर सब के सब धीरे धीरे विद्यालय से परे हो गए। विद्यालय की ढलाई के नीचे कीमती सागवान, शीशम की लकड़ियां भी गायब हो गई। विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था अवसान की ओर पहुंचा। अयोग्य शिक्षकों का जमावड़ा के बाद छात्र को¨चग संस्थान व अन्य विद्यालय की रूख कर लिया। विद्यालय में छात्रों की संख्या नगण्य हो गया। बाद में दो योग्य प्रधानाध्यापक आए और इसे संवारने का प्रयत्न किया। राधेश्याम ¨सह एवं अवधेश कुमार ¨सह ने विद्यालय को पटरी पर लाने का प्रयास किया पर पुराने दिन लौटाने में वे सफल नहीं हुए।
क्या है वर्तमान स्थिति और संसाधन
विद्यालय में प्लस टू के लिहाज से पर्याप्त भवन नहीं है। वर्ग 9 से 10 में क्रमश: 388, 362 वर्ग 11 व 12 में क्रमश: 240 व 238 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। उच्च विद्यालय के लिए प्रधानाध्यापक सहित 14 शिक्षक कार्यरत हैं जबकि प्लस टू के लिए 9 शिक्षक हैं। कपिलदेव मोची एचएम वर्ग 9-10 के लिए शिक्षक शैलेन्द्र कुमार चैहान फिजिकल, अर¨वद कुमार वर्मा विज्ञान, विनय ¨सह, मनोज कुमार मेहता, रेणु कुमारी, चन्द्रशेखर प्रसाद, सामान्य विज्ञान के शिक्षक हैं। जयप्रकाश ¨सह, कांति कुमारी, हिन्दी, प्रदीप कुमार ¨सह, सतीशचन्द्र मिश्रा गणित, शोभा कुमारी, संस्कृत, मो. असलम उर्दू शिक्षक हैं। प्लस टू के लिए रूपारानी गृह विज्ञान, शेखर रंजीत हिन्दी, पार्वती साहु राजनीति विज्ञान, कौशरजहां नजमी अर्थशास्त्र, चन्द्रप्रकाश प्रसाद भूगोल, रमेश कुमार रंजन जीव विज्ञान, आनंद कुमार आनंद रसायन विज्ञान, रूबी जायसवाल इतिहास, अमित कुमार संगीत, मो. नौशाद पुस्तकालयाध्यक्ष, संतोष कुमार ¨सह लिपिक, विनोद कुमार पांडेय, मुखदेव राम आदेशपाल विद्यालय में कार्यरत हैं। कई विषयों के कई शिक्षक हैं जबकि अंग्रेजी, गणित आदि विषय के शिक्षक नहीं हैं। विद्यालय में पूर्व की अपेक्षा आधे विद्यार्थी भी नामांकित नहीं है। जब उच्च विद्यालय था तब चार से पांच सेक्शन में बच्चे पढ़ते थे। मनोरंजन एवं खेल के लिए संसाधन की कमी है।
सफलता से जुड़े हैं कई छात्रों का नाम
बीते वर्ष बरहेता गांव का ओमप्रकाश कुमार ने इंटर परीक्षा में राज्य में 7वां स्थान प्राप्त किया था। वर्तमान वर्ष में शुभम कुमार ने विज्ञान संकाय का जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया। जिले में जितना रिजल्ट आये है। उसका दोगुना प्रतिशत छात्र विद्यालय में उत्तीर्ण हुए। मैट्रिक की परीक्षा में रंधीर कुमार ने 416 अंक लाकर प्रखंड का टापर विद्यार्थी बना था।
बताते हैं प्रधानाध्यापक
फोटो फाइल - 20 एयूआर 03
प्रधानाध्यापक कपिलदेव मोची कहतें हैं कि विद्यालय में पर्याप्त भवन नहीं है। नल, फर्नीचर, शौचालय, पेयजल के साथ विषयवार शिक्षकों की कमी है। उन्होंने विभागीय पदाधिकारी को इसकी जानकारी देने की बात बतायी। कहा कि विद्यालय में बेहतर शिक्षा देने का प्रयास चल रहा है। शिक्षकों की कमी के कारण परेशानी होती है।