सूख गई नदियां, गांवों में गहराया पेयजल संकट
गर्मी की तपीश से जमीन तपने लगी है। जिले की सभी नदियां सूख चुकी है। बटाने पुनपुन अदरी मदार केशहर समेत सभी जंगली नदियों के सूख जाने से नदी किनारे
औरंगाबाद। गर्मी की तपिश से जमीन तपने लगा है। जिले की सभी नदियां अभी ही लगभग सूख चुकी है। बटाने, पुनपुन, अदरी, मदार, केशहर, समेत सभी जंगली नदियों के सूख जाने से नदी किनारे बसे गांवों में जल का स्तर काफी नीचे जा रहा है। कई गांवों में चापाकल पानी देना बंद कर दिया है। शहर में 70 फीट पर चल रहा समरसेबल पानी देना बंद कर दिया है। जिले के नवीनगर, रफीगंज, मदनपुर एवं देव के करीब 10 पंचायतों में पानी की किल्लत उत्पन्न हो गई है। 50 फीट से भी ज्यादा नीचे जलस्तर चला गया है। जहां जल का स्तर भाग गया है, चापाकल से पानी निकलना बंद हो गया है। रफीगंज के पचार इलाके में अभी से ही पेयजल की किल्लत हो गई है। वहीं हाल मदनपुर के मनिका समेत अन्य गांवों में भी है। जहां का जलस्तर नीचे जाने से चापाकल से पानी निकलना बंद हो गया है। देव के पहड़तली इलाके के गांव छुछिया, बुढ़लेवा, घुरनडीह समेत अन्य गांवों में भी पानी की भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई। चापाकल के अलावा जल के सभी स्त्रोत सूख जाने से पानी के लिए ग्रामीण अभी से ही भटकने लगे हैं। ग्रामीण पशु की जान बचाने के लिए अपने पालतू जानवरों को मैदानी इलाके के जलस्त्रोत की जगह पर उतार दिया है। मदनपुर के मनिका गांव निवासी पूर्व मुखिया अनिल सिंह ने बताया कि इलाके में जलस्तर नीचे की ओर भागता जा रहा है। अगर किसी के द्वारा समरसेबल चला दिया जाता है तो घरों का चापाकल पानी देना बंद कर देता है।
क्या कहते हैं अधिकारी
पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता योगेंद्र कुमार पासवान ने बताया कि वर्तमान में कहीं से पेयजल की किल्लत की सूचना नहीं है। पेयजल संकट से निपटने के लिए पूरी तैयारी की गई है। विभागीय एसडीओ, कनीय अभियंता से लेकर चापाकल बनाने वाले मिस्त्री को अलर्ट रखा गया है। जहां से चापाकल खराब अथवा पानी नहीं देने की सूचना मिलती है। तुरंत मिस्त्री को भेजकर उसे ठीक कराया जाता है।