ट्रेन की आवाज सुन मासूमों के लड़खड़ाते हैं कदम
औरंगाबाद। गया-मुगलसराय रेलखंड के जाखिम स्टेशन के पास स्थित पड़रिया गांव के ग्रामीणों एवं मासूम बच्
औरंगाबाद। गया-मुगलसराय रेलखंड के जाखिम स्टेशन के पास स्थित पड़रिया गांव के ग्रामीणों एवं मासूम बच्चों को विद्यालय जाने के लिए प्रतिदिन जान जोखिम में डालना पड़ता है। विद्यालय जाने के लिए बच्चों को रेल ट्रैक पार करना पड़ता है। गांव के ग्रामीण प्रतिदिन अपने बच्चों को रेल ट्रैक पार कर पढ़ाई के लिए विद्यालय भेजते हैं। सुबह करीब 9 बजे बच्चे तैयार होकर पटरी के करीब खड़े हो जाते हैं और उनके परिजन पहले दोनों तरफ ट्रेन को देखने जाते हैं। इसके बाद यहां के ग्रामीण लाइन लगाकर पटरियों पर पार कराते हैं। बैग कंधे पर लटकाए बच्चे डरे-सहमे से पटरियां पार करते हैं। हालात यह है कि पटरी पार करते समय ट्रेन का आवाज सुनकर ही इन मासूमों का पैर पटरी पर लड़खड़ाने लगता है। परिजनों के दिल की धड़कनें तेज हो जाती है। ग्रामीण स्वामी देव उत्सव, शिक्षक रमन मेहता, विजय मेहता, अरूण विश्वकर्मा, दिनेश ¨सह एवं सत्येंद्र ¨सह ने बताया कि गांव से जाखिम जाने के लिए कोई सड़क नहीं है। आजादी के 70 वर्ष बीत गए परंतु आज तक सड़क नहीं बना। गांव से करीब 160 छात्राएं विद्यालय एवं को¨चग पढ़ने के लिए ट्रैक से आवागमन करते हैं। यहां प्रतिदिन बच्चे ¨जदगी व मौत की जंग लड़ते हैं। गांव से जाखिम जाने का ट्रैक ही माध्यम है। 70 वर्षों से इस गांव के ग्रामीण इसी रास्ते से आते-जाते हैं। ट्रैक पर हमेशा बच्चों का पैर फंसने का खतरा बना रहता है। बताया कि अप्रैल 2018 में गांव के ही ओमप्रकाश ¨सह की पुत्री की ट्रेन से कटकर मौत हो गई थी। रेल चक्का को जाम किया गया था। बता दें कि यहां हमेशा दुर्घटनाएं होती रहती है। गांव के ग्रामीणों को आवागमन में परेशानी हो रही है। बता दें कि इस गांव में करीब दो हजार ग्रामीण रहते हैं। सभी का आवागमन इसी ट्रैक से होता है। प्रतिदिन ग्रामीण अपने घर से निकल जाते हैं परंतु जब वे घर लौट जाते हैं तो भगवान को याद करते हैं। विधायक एवं सांसद यहां वोट मांगने आते हैं। गांव से निकासी के लिए सड़क बनवाने का आश्वासन देते हैं परंतु इसका कोई असर नहीं होता है।