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गरीबी का सितम ! बेटे का शव लाने को नहीं थे पैसे, पुतला बना की अंत्येष्टि; अंतिम बार भी देख न पाए माता-पिता

Bihar तेलंगाना के बेलकाटुर के जंगल में औरंगाबाद के युवक का शव पेड़ से लटकता मिला था। गरीबी के कारण युवक के माता-पिता बेटे को अंतिम बार भी देख न पाए। हालत यह है कि परिवार के पास अब ब्रह्मभोज कराने के लिए भी पैसे नहीं हैं।

By OM PRAKSH SHARMAEdited By: Roma RaginiPublished: Sun, 07 May 2023 10:00 AM (IST)Updated: Sun, 07 May 2023 10:00 AM (IST)
गरीबी का सितम ! बेटे का शव लाने को नहीं थे पैसे, पुतला बना की अंत्येष्टि; अंतिम बार भी देख न पाए माता-पिता
BIHAR: औरंगाबाद का परिवार गरीबी के कारण बेटे का नहीं कर सका अंतिम संस्कार

अंबा (औरंगाबाद), ओम प्रकाश शर्मा। औरंगाबाद के नबीनगर प्रखंड की रामपुर पंचायत के शिवपुर गांव निवासी सुरेंद्र भगत और उनके पिता इंद्रदेव भगत तीन दिनों से रो-रोकर बेहोश हो रहे हैं। जब होश आता है तब सुरेंद्र अपने 20 वर्षीय पुत्र अंकित कुमार को खोजने लगते हैं। गरीबी ने इस परिवार को ताउम्र टीस देने वाला दर्द दिया है।

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इंद्रदेव भगत को जिस बेटे से आगे दादा और खुद को कंधा देने की उम्मीद थी, उसके शव को वे देख तक नहीं सके। बीते तीन मई को तेलंगाना के जगदलपुर स्थित जंगली इलाके में पेड़ से अंकित का शव लटकता मिला। ये गरीब परिवार अपने बेटे का शव औरंगाबाद के पैतृक गांव लाने में सक्षम नहीं हो सका।

अंकित के साथ रहने वाले बहनोई राजन भगत ने अगले दिन शव को वहीं दफना दिया। फिर, परिजनों ने गांव में गुरुवार को पुतले का दाह संस्कार किया। हालत यह है कि परिवार के पास अब ब्रह्मभोज कराने के लिए भी पैसे नहीं हैं।

तेलंगाना के जगदलपुर में हुई थी हत्या

रोते हुए पिता सुरेंद्र, दादा इंद्रदेव और मां गुड्डी देवी ने बताया कि वे बेटे का मरा मुंह भी नहीं देख सके। उसकी हत्या तेलंगाना के जगदलपुर जिले के बेलकाटूर जंगल में हो गई। 20 दिन पहले ही वह घर से अपने बहनोई रंजन भगत के साथ तेलंगाना गया था। उसकी हत्या करंट लगाकर या तेजाब से जलाकर की गई।

परिजनों के अनुसार अंकित के भाई रोहित कुमार ने पुतला बनाकर अंकित का अंतिम संस्कार किया। गुरुवार को ब्राह्मणों के बताए अनुसार श्मशान घाट पर पुतला जलाकर श्राद्ध कर्म कर रहे हैं। तेलंगाना से अंकित के बहनोई रंजन ने फोन पर बताया कि जंगल में पेड़ से लटके मिले शव को पुलिस ने अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया और उन्हें सौंप दिया।

उन्होंने अपने श्वसुर सुरेंद्र भगत को घटना की जानकारी देते हुए बताया कि शव लाने में 50 से 60 हजार रुपये खर्च होंगे। निर्धनता की बेड़ी में जकड़े पिता शव को वहीं दफनाने पर राजी हो गए। पीड़ित परिवार को अब तक मुआवजा या मदद नहीं मिली है।

शव नहीं आने पर नहीं मिले अंत्येष्टि योजना के पैसे

परिजनों ने सामाजिक सुरक्षा योजना से भी कोई राशि नहीं मिली है। शव नहीं आने के कारण मुखिया कौशल सिंह ने कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत तीन हजार रुपये नहीं दिए। हालांकि, नबीनगर के प्रखंड विकास पदाधिकारी देवानंद कुमार सिंह ने तत्काल इस परिवार को पारिवारिक लाभ योजना से 20 हजार रुपये दिए जाएंगे। साथ ही श्रम विभाग से एक लाख रुपये की मदद दिलाई जाएगी।


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