पैदल चलने वालों की थकान पर प्रशासन ने लगाया मरहम
औरंगाबाद। कोरोना वायरस से बचाव को लेकर देश में घोषित लॉकडाउन में दूसरे राज्यों में काम करने वाले मजदूरों और कामगारों को अपना घर जीवन बचाने का एक मात्र साधन दिख रहा है। लॉकडाउन में दूसरे राज्यों में काम करने वालों का अपने घर की ओर पलायन करने का सिलसिला जारी है।
औरंगाबाद। कोरोना वायरस से बचाव को लेकर देश में घोषित लॉकडाउन में दूसरे राज्यों में काम करने वाले मजदूरों और कामगारों को अपना घर जीवन बचाने का एक मात्र साधन दिख रहा है। लॉकडाउन में दूसरे राज्यों में काम करने वालों का अपने घर की ओर पलायन करने का सिलसिला जारी है। पैदल चलकर यहां पहुंचे ऐसे मजदूर और कामगारों के थकान की दर्द पर प्रशासन ने अधिकारियों ने मरहम लगाया। रविवार रात से लेकर सोमवार को काफी संख्या में दूसरे राज्यों में काम करने वाले लोग जिला मुख्यालय पहुंचे। यहां पहुंचे मजदूरों और कामगारों को जिले के नवीनगर, रफीगंज, माली समेत अन्य थाना क्षेत्रों में जाना था।कई मजदूर गया जिले के गांवों के निवासी हैं। पंजाब और यूपी के गोरखपुर से पहुंचे मजदूरों और कामगारों को झारखंड के गढ़वा, डाल्टेनगंज के अलावा अन्य जिलों में जाना था। बंगाल से भी दर्जनों मजदूर जिला मुख्यालय पहुंचे। जिला मुख्यालय पहुंचे ऐसे मजदूर और कामगारों को गेट स्कूल में सेंटर बनाया गया है। यहां मेडिकल टीम तैनात की गई है। बाहर से यहां पहुंचे मजदूरों और कामगारों को मेडिकल जांच करने के बाद इस जिले के लोगों को बस के द्वारा घर तक भेजा गया। गया जिले के लोगों को गया तक भेजा गया। झारखंड के मजदूरों और कामगारों को उनके जिला के सीमा तक यह कहकर भेजा गया कि वहां से आपके राज्य का प्रशासन के द्वारा वाहन को कोई व्यवस्था की गई होगी।
पैदल चलने वाले ऐसे मजदूरों और कामगारों को जब डीटीओ अनिल कुमार सिन्हा और एमवीआइ उपेंद्र राव के द्वारा बसों पर बैठाया गया उनके चेहरे से पैदल चलने का दर्द मानों समाप्त हो गया था।
गोरखपुर से पहुंचे बीस की संख्या में मजदूरों की टोली में शामिल लवकेश कुमार, अमरेश कुमार, गौरव कुमार ने बताया कि लॉकडाउन को लेकर कंपनी के बंद हो जाने से भोजन मिलना मुश्किल हो गया। इतना पैसा भी नहीं था कि बैठकर भोजन बनाते और खाते। बताया कि लॉकडाउन कितना दिन तक रहेगा यह कहना मुश्किल है। सभी को झारखंड के गढ़वा जाना है। गोरखपुर से यहां तक पहुंचने में सैकड़ों किमी पैदल चलना पड़ा। कहीं-कहीं बीच में वाहन की व्यवस्था मिली। पंजाब से पहुंचा सोनू कुमार, विजेंद्र कुमार, नेहाल अहहमद ने बताया कि फैक्ट्री बंद हो जाने के बाद घर पहुंचने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं दिखा। औरंगाबाद तक पहुंचने में कई जगहों पर ट्रकों का सहारा मिला। कहीं कहीं काफी पैदल भी चलना पड़ा। पीड़ा सुनाते मजदूर फफक पड़े। डीटीओ ने बताया कि दूसरे राज्य से यहां पहुंचे मजदूरों और कामगारों को बस से भेजा गया। अपने जिला के लोगों को उनके थाना मुख्यालय तक भेजा गया। गया जिले के लोगों को गया तक और झारखंड के लोगों को उनके जिला के सीमा तक भेजा गया। रेडक्रॉस के सचिव दीपक कुमार, भाजपा नेता उज्जवल कुमार, राइस मिलर संघ के अमित कुमार ने मजदूरों को भेजने में मदद की। नाश्ता का पैकेट उपलब्ध कराया। रतनुआं गांव निवासी दिनेश कुमार सिंह के द्वारा ओवरब्रिज मुंडेश्वरी होटल के पास निशुल्क भोजन की व्यवस्था की गई है।