शिवदेनी साव महाविद्यालय में नहीं हैं प्रमुख विषयों के शिक्षक
प्रखंड मुख्यालय स्थित जिले का एकमात्र मान्यता प्राप्त शिवदेनी साव महाविद्यालय में शिक्षकों की कमी है। महाविद्यालय में शिक्षकों के 26 सृजित पद है लेकिन मात्र नौ शिक्षक ही कार्यरत हैं।
अरवल । प्रखंड मुख्यालय स्थित जिले का एकमात्र मान्यता प्राप्त शिवदेनी साव महाविद्यालय में शिक्षकों की कमी है। महाविद्यालय में शिक्षकों के 26 सृजित पद है लेकिन मात्र नौ शिक्षक ही कार्यरत हैं। शिक्षकों की कमी के कारण गुणवतापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है। महाविद्यालय में हिन्दी विषय के लिए तीन शिक्षकों का स्थान सृजित है। लेकिन मात्र एक शिक्षक ही कार्यरत हैं। अंग्रेजी में तीन के बजाय दो शिक्षक, उर्दू में दो के बजाय एक शिक्षक परवेज अहमद हैं।प्राचार्य का स्थानांतरण हो जाने के कारण इन्हें प्रभारी प्राचार्य का दायित्व सौंपा गया है। मनोविज्ञान में दो के बजाय एक शिक्षक, दर्शनशास्त्र में दो के बजाय एक शिक्षक पदस्थापित हैं। हालात इस कदर गंभीर है कि अर्थशास्त्र में भी दो सृजित पद के विरूद्ध मात्र एक शिक्षक हैं। इसी प्रकार सबसे महत्वपूर्ण गणित में भी दो के बजाय मात्र एक शिक्षक हैं। भौतिकी तथा रसायन विज्ञान में भी एक-एक शिक्षक से ही काम चलाया जा रहा है। वनस्पति विज्ञान, जंतु विज्ञान, इतिहास तथा राजनीतिक शास्त्र में एक भी शिक्षक नहीं हैं। ठीक यही स्थिति शिक्षकेत्तर कर्मियों की भी है। इसके लिए 24 पद सृजित हैं लेकिन मात्र पांच कर्मी पर ही सारा बोझ है। इस कॉलेज में कोई अतिथि शिक्षक भी नहीं हैं। संसाधनों के साथ-साथ शिक्षकों की कमी से छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकारमय बन रहा है। इस महाविद्यालय में प्रखंड क्षेत्र के साथ-साथ करपी,वंशी और जिला मुख्यालय तक के छात्र-छात्राएं नामांकन कराते हैं। लेकिन व्यवस्था की बदहाली के कारण नामांकित छात्र-छात्राओं को गुणवतापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है। कहने को तो यह महाविद्यालय है लेकिन यहां पीजी की पढ़ाई नहीं होती है।हालांकि सरकार द्वारा इसे मॉडल कॉलेज का दर्जा दिया गया है लेकिन शिक्षक नदारत हैं। सुनें छात्र-छात्राओं की यहां बड़ी संख्या में विज्ञान के भी छात्र हैं। वे लोग पढ़ने के लिए कॉलेज भी आते हैं लेकिन शिक्षक उपलब्ध नहीं रहने के कारण वे लोग पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं।
राजा ¨सह
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महाविद्यालय में पठन पाठन की स्थिति काफी दयनीय है। इलाके में और कोई सरकारी कॉलेज भी नहीं है जहां नामांकन कराया जाए।
मृत्युंजय कुमार
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कॉलेज में नामांकन के समय काफी उत्साह था लेकिन अब पढ़ाई नहीं होने कारण काफी निराशा हो रही है। यहां के नामांकित बच्चे को¨चग पर ही निर्भर हैं।
शिवेंद्र कुमार
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यहां प्रैक्टिकल की बात करना ही बेमानी है। थियोरी की क्लास तो ढंग से होती ही नहीं है। शिक्षक की घोर कमी है। अब तो सरकार ने परीक्षा में भी कड़ाई कर दी है। ठीक है कदाचारमुक्त परीक्षा होनी चाहिए लेकिन पढ़ाई होने पर।
सुजीत कुमार
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ऐसी बात नहीं है कि यहां के नामांकित छात्र पढ़ना नहीं चाहते हैं। आज जो कॉलेज में विरानगी पसरी हुई है इसका कारण यह है कि शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई ही नहीं होती है।
विकास कुमार
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