मच्छर के आतंक से परेशान हो रहे गांवों में रहने वाले लोग
गर्मी आते ही प्रखंड सहित ग्रामीण क्षेत्र में मच्छरों का प्रकोप बढ़ने लगा है। इनसे संक्रामक रोगों को लेकर लोगों की चिता बढ़ गई है क्योंकि इन दिनों मलेरिया वायरल फीवर ने भी पैर पसार रखा है।
संवाद सहयोगी, कलेर, अरवल
गर्मी आते ही प्रखंड सहित ग्रामीण क्षेत्र में मच्छरों का प्रकोप बढ़ने लगा है। इनसे संक्रामक रोगों को लेकर लोगों की चिता बढ़ गई है क्योंकि इन दिनों मलेरिया, वायरल फीवर ने भी पैर पसार रखा है। जैसे-जैसे गर्मी के तेवर बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है। प्रखंड के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी इनके आतंक से परेशान हैं। पहले तो शाम ढलने के बाद इनका हमला शुरू होता था।अब तो दिन में भी इनके डंक से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। इनके रोकथाम की बातें वालपेंटिग, पोस्टर व इश्तेहारों में सिमट कर रह गई है।जबकि हकीकत में बचाव के उपायों का कहीं नामोनिशान भी देखने को नही मिल रहा है। घर हो या बाहर सड़क पर, ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां मच्छरों का आतंक न हो। बिजली भी रंग बदलने लगी है,। गर्मी के दिनों में जहां अपच और डायरिया जैसे रोग पनपते हैं, वहीं मलेरिया और वायरल फीवर भी लोगों को सताता है। लोग इस बात को लेकर आशंकित हैं कि यदि मच्छरों का प्रकोप इसी तरह बढ़ता रहा तो संक्रामक रोग लोगों को अपनी चपेट में ले लेंगे जिससे स्थिति भयावह हो सकती है। सरकारी चिकित्सालय हो या निजी अस्पताल, सभी जगह रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। अधिकांश लोग मलेरिया से पीड़ित हैं, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने जिला प्रशासन से प्रखंड के ग्रामीण इलाकों में डीडीटी का छिड़काव एवं फॉगिग कराए जाने की मांग की है। सोते समय तो मच्छरदानी, बाकी समय..... मच्छरों के डंक से ग्रामीणों को दिन में भी तारे दिखाई देने लगते हैं। क्षेत्र के रवि कुमार, अजय शर्मा ,सुजीत कुमार ,सुनील कुमार, संतोष शर्मा, राजा सिंह आदि लोगों का कहना है कि पहले विभाग द्वारा डीडीटी व मैलाथियान का छिड़काव कराया जाता था। जिससे मच्छरों का प्रकोप कम हो जाता था। अब तो हालात यह है कि रात हो या दिन कोई फर्क नही पड़ रहा। हर वक्त इनका डंक व्यथित कर दे रहा है। सोते समय तो बचाव के लिए मच्छरदानी लगा लेते हैं कितु दिन में क्या उपाय किया जाय समझ से परे है। स्वास्थ्य विभाग से जब निदान की बात कही जाती है तो जल्द छिड़काव का दावा किया जाता है, जो हकीकत में कभी देखा नहीं जाता है। नहीं काम कर रहे मच्छरों से बचाव के उपकरण : घरों में लगाये जाने वाले मच्छरों से बचाव के क्वायल जलाने के बावजूद मच्छर थोड़ी देर के लिए भाग जाता है मगर फिर वापस हमला कर देता है।. मच्छरों के कारण लोगों की नींद हराम हो जा रही है।. मच्छरदानी में नहीं सोने वाले लोगों को रात भर मच्छरों के कारण जागे रहना पड़ता है।.मच्छरदानी लगाये जाने के बाद भी थोड़ी सी चुक में मच्छर मच्छरदानी के अंदर ही प्रवेश कर जाता है।. आलम यह है कि हर इलाके में कमोवेश मच्छरों का भयानक प्रकोप हो गया है।. शाम ढलते ही मच्छर लोगों को परेशान करने लगता है।. मच्छरों की अधिकता के कारण फास्ट कार्ड भी काम नहीं कर रहा है।