अनुष्ठान के दूसरे दिन व्रतधारियों ने किया खरना
अरवल। आज अस्ताचलगामी सूर्य को अर्पित किया जाएगा अर्घ्य कल उदयीमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किए जाने के साथ ही होगा इसका समापन सूर्योपासना के महापर्व छठव्रत के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन बुधवार को व्रतियों ने खरना का प्रसाद ग्रहण किया।
अरवल। आज अस्ताचलगामी सूर्य को अर्पित किया जाएगा अर्घ्य
कल उदयीमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किए जाने के साथ ही होगा इसका समापन सूर्योपासना के महापर्व छठव्रत के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन बुधवार को व्रतियों ने खरना का प्रसाद ग्रहण किया। इससे पूर्व व्रतियों द्वारा पवित्र सरोवरों, नदियों एवं तालाबों में विधि विधान के साथ स्नान किया गया। तत्पश्चात प्रसाद के रुप में खीर बनाकर अस्ताचलगामी सूर्य को नमन करते हुए उसे ग्रहण किया गया। जिले के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों पर छठव्रत को लेकर उत्साह का माहौल कायम है। मधुश्रवां, बेलसार,वलिदाद,अगानूर,सदर प्रखंड के मोथा, भदासी, जनकपुर धाम घाट, दुना छपरा, किजर, पंतीत,कुर्था,खटांगी आदि स्थानों पर अनुष्ठान को लेकर सुबह से ही उत्साह का माहौल कायम था। व्रतियों द्वारा विधि विधान के साथ पूजा अर्चना के उपरांत खरना का प्रसाद ग्रहण किया गया एवं उसका वितरण भी किया। छठव्रत को लेकर जिला मुख्यालय सहित सभी कस्वाई बाजारों में फलों की दुकानें सजी हुई है। हालांकि आस्था के कारण महंगाई का परवाह नहीं करते हुए व्रतियों ने उंचे दामों पर भी फलों की खरीदारी की। छठ्व्रत को लेकर सभी फलों का दाम आसमान छू रहा था। फलों की खरीदारी को लेकर भी बाजारों में दिन भर भीड़ भाड़ की स्थिति कायम रही। जिले के कलेर, करपी, वंशी, किजर तथा कुर्था सहित सभी प्रखंडों में छठव्रत को लेकर उत्साह का माहौल कायम है। इधर जिला प्रशासन द्वारा व्रतियों की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किया गया है। खतरनाक एवं अधिक जल वाले छठघाटों पर गोताखोरों की व्यवस्था की गई है। सुरक्षा के लिए सशस्त्र बलों के साथ ही महिला पुलिस बल को भी विभिन्न छठ घाटों पर प्रतिनियुक्त किया गया है।प्राचीन काल से चली आ रही यह परंपरा आज भी उसी रूप में बरकरार है। व्रती बुधवार को पूरे दिन निर्जला उपवास रखा और शाम ढलने के बाद खरना किया। मिट्टी के नए चूल्हे पर खीर तथा रोटी बनाई गई। देवता घर में केले के पत्ते पर अर्घ्य के संख्या के अनुसार प्रसाद लगाए गए। खीर के उपर केला डाला गया और उसपर तुलसीदल रखा गया। उसके बगल में धूप तथा अगरबत्ती के साथ घी के दीये जलाए गए। प्रसाद अर्पण के पश्चात घर के सदस्यों ने दिनकर दीनानाथ से मनोकामना की पूर्ति तथा सदैव आशीर्वाद बनाए रखने की कामना की। इसके उपरांत व्रतियों ने खरना किया। शेष सदस्यों ने भी प्रसाद ग्रहण किया। गुरुवार की संध्या अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा। शुक्रवार को सवेरे भगवान भाष्कर के अर्घ्य के साथ लोक आस्था का यह महापर्व संपन्न हो जाएगा।