बेमौसम बारिश से किसानों की फसल की हुई क्षति
अरवल। मंगलवार तक हुई बूंदा-बांदी ने किसानों की ¨चता बढ़ा दी है।
अरवल। मंगलवार तक हुई बूंदा-बांदी ने किसानों की ¨चता बढ़ा दी है। उनके पेशानी पर बल पड़ने लगे हैं। अब कृषि कार्य एक सप्ताह तक विलंब होने से पिछड़ने का डर किसानों को सताने लगी है। कई तरह की परेशानी इस बेमौसम बरसात ने खड़ी कर दी है। कृषि वैज्ञानिक के पद से सेवानिवृत कृषि जानकार सीताराम ¨सह ने बताया कि खलिहान में पड़े धान के बोझा में नमी आ आजेयी। धान का बोझा भींग गया है इससे उसमें अंकुरण हो जाएगा। धुप नहीं लगने की स्थिति में। यदि धुप निकल गयी तो स्थिति में सुधार होगा। खेत में खड़े धान में कोइ प्रभाव नहीं होगा, क्योंकि हवा लगने से सूख गया। कटनी भी प्रभावित होगी। उन्होंने बताया कि जमीन गिला रहने के कारण धान काट नहीं सकते क्योंकि काटने के वक्त वह जड़ से उखड़ जाएगा व बोअनी में भी बिलंब होगा। किसान सुनील कुमार, सुरेन्द्र कुमार , सुधिर कुमार, राम प्रसाद यादव, संतोष कुमार और ललन कुमार ने बताया कि बेमौसम हुई बारिश से खलिहान में जो बोझा रखे हुए थे उसके भकड़ जाने का डर है। उसमें गर्मी पैदा होने से धान जल जाता है। यदि मौसम सा़फ रहा, बारिश नहीं हुई तो करीब एक सप्ताह या इससे अधिक वक्त लग जाएगा खेत-खलिहान की जमीन सुखने और धान की रुकी हुई दौनी शुरू होने में। बता दें कि इस बेमौसम बारिश होने का बस एक ही लाभ है कि चना और मसूर यदि पौधे का रूप ले लिया है तो उसे लाभ होगा क्योंकि उसे ¨सचाई का लाभ मिल जाएगा। गेहूं की बुआई पिछड़ने से होगा उत्पादन कम : खेत की जमीन भींग गयी है। इसके सूखने में वक्त लगेगा। गेंहूं की बुआई इस कारण अब विलंब से होगा। इससे उत्पादन में कमी आएगी। कृषि जानकार ने बताया कि गेंहू की बुआई का समय 15 नवंबर से 15 दिसंबर का सबसे उचित होता है। अब बुआई में देर होने से उत्पादकता प्रभावित होगी। पछुआ हवा चलने से उत्पादन कम हो जाता है क्योंकि दाना सूख जाएगा। वजन नहीं आता है।