दीवार गिरने से दादी-पोती की मौत, एक अन्य जख्मी
अरवल। श्याम नारायण बिद की मिट्टी से बनी मकान अचानक भरभरा कर गिर पड़ी। मकान के मलबे में उसकी पत्नी चंद्रावती देवी तथा पोती चार वर्षीय रूपा कुमारी दब गई जबकि बेटी प्रभावती देवी को चोट आई। घटना की जानकारी मिलते ही काफी संख्या में लोग घटनास्थल पर पहुंचे तथा मलबे को हटाकर जख्मी चंद्रावती देवी को बाहर निकाला गया तब तक घटनास्थल पर ही गृह स्वामी की पोती रूपा कुमारी की मौत हो गई थी।
अरवल। करपी थाना क्षेत्र के दक्षिणवारी मठिया गांव में बुधवार की सुबह अफरातफरी की स्थित कायम हो गई। गांव में एक मिट्टी के मकान का दिवार भरभरा कर अचानक गिर गई। मलबे से पास में बैठी दादी-पोती दब गई। मासूम पोती की मौत घटनास्थल पर जबकि इलाज के दौरान दादी की मौत हो गई।
घटना के संबंध में बताया जाता है कि श्याम नारायण बिद की मिट्टी से बनी मकान अचानक भरभरा कर गिर पड़ी। मकान के मलबे में उसकी पत्नी चंद्रावती देवी तथा पोती चार वर्षीय रूपा कुमारी दब गई, जबकि बेटी प्रभावती देवी को चोट आई। घटना की जानकारी मिलते ही काफी संख्या में लोग घटनास्थल पर पहुंचे तथा मलबे को हटाकर जख्मी चंद्रावती देवी को बाहर निकाला गया तब तक घटनास्थल पर ही गृह स्वामी की पोती रूपा कुमारी की मौत हो गई थी। ग्रामीणों ने आनन-फानन में जख्मी चंद्रावती देवी तथा प्रभावती देवी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया जहां दोनों इलाज किया जा रहा थ्ज्ञा। लेकिन, इसी बीच चंद्रावती देवी की स्थिति बिगड़ने लगी तथा चिकित्सकों ने सदर अस्पताल रेफर कर दिया। ले जाने की तैयारी के बीच में ही उसकी मौत हो गई। सूचना मिलते ही पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर मामले की जांच की तथा मृतकों के शवों को अंत्यपरीक्षण के लिए सदर अस्पताल अरवल भेजा दिया है। इस घटना से गांव में कोहरमा मच गया है।
सुकून देने वाली दादी की गोद में ही मौत की नींद में समा गई मासूम
जिस दादी की गोद में मासूम बच्ची रूपा खिलखिला रही थी। उसी के साथ दीवार के मलबे से दब कर बिना दुनिया को जाने हीं सभी को छोड़ सदा-सदा के लिए मौत की गहरी नींद में समा गई। मिट्टी के मलबे से बच्ची के शव को बाहर निकलने वाले ग्रामीण इस करूण ²श्य देख अपनी आंसू नहीं रोक पा रहे थे। इस मासूम को क्या पता था की इस धरती पर बुधवार की सुबह उसकी अंतिम मुस्कान होगी। ग्रामीण बताते हैं कि रूपा ज्यादातर अपने दादी के साथ ही खेला करती थी। बच्चों के लिए दादी नानी का गोद सबसे सुकून दायक होता है। लेकिन यहां तो विधाता को कुछ और ही लीला करनी थी। विधाता ने मासूम को अपनी प्यारी दादी के साथ बेसमय अपने पास बुला लिया।