हरी सब्जी की ढुलाई भर नहीं मिल रहा दाम
अरवल कोविड-19 के संक्रमण काल में कई बदलाव दिखे हैं। अप्रैल और मई में मौसम तल्ख नहीं हुआ तो पूरबा हवा ने हरी सब्जी से खेत भर गए।
अरवल : कोविड-19 के संक्रमण काल में कई बदलाव दिखे हैं। अप्रैल और मई में मौसम तल्ख नहीं हुआ तो पूरबा हवा ने हरी सब्जी से खेत भर गए। हाल यह कि लोगों के घर में हरी सब्जी खूब मिल रही है लेकिन किसानों को बाजार पहुंचाने में ढुलाई का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है।
सब्जी बाजार में दाम सुनकर लोग हैरान हैं। इस मौसम में हरी सब्जी के भाव में तल्ख होते थे। खेत से यदि 40 किलो भिंडी लेकर बाजार पहुंचते हैं तो मुश्किल से 400 रुपये मिल रहा है। कमोबेश यही हाल करेला, परवल, बोदी आदि हरी सब्जी की हो गई है। हाल यह कि 50 रुपये में पांच किलो हरी सब्जी मिल रही है। हाल के वर्षो में जेठ की गर्मी में भी कभी सब्जी के भाव इस कदर नहीं देखा गया था। इन दिनों प्राय: सभी के किचन में हरी सब्जियों की हरियाली छायी हुई है। लॉकडाउन में लोगों को एक बात तो समझ में आई है कि घरों में रिजर्व रहकर खाने-पीने पर बहुत अधिक खर्च का बोझ नहीं है। खामियाजा उत्पादक किसानों को भुगतना पड़ रहा है। परवल उत्पादक किसान सुरेन्द्र सिंह का कहना है कि पिछले साल इसी सीजन में प्रति किलो 30 से 40 रुपये किलो बिकने वाला परवल इस बार आठ से दस रुपये बिक रहा है। खेती का लागत मूल्य निकालना मुश्किल हो रहा है।