औने पौने दामों पर आलू बेचने को मजबूर हैं किसान
अरवल। किसानों के सामने समस्याओं का अंबार लगा है। सरकार उनकी स्थिति सुधारने की चाहे जितनी भी योजना बनाई हो लेकिन जमीन पर अभी भी किसानों को पूरा लाभ नहीं मिल रहा है।
अरवल। किसानों के सामने समस्याओं का अंबार लगा है। सरकार उनकी स्थिति सुधारने की चाहे जितनी भी योजना बनाई हो लेकिन जमीन पर अभी भी किसानों को पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। सुखाड़ के कारण इस वर्ष धान की फसल तो नष्ट हो ही गई अन्य फसलों पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में इलाके के किसानों को पुनपुन तटीय इलाके में आलू की खेती पर ही उम्मीद टिकी है। हालांकि इस वर्ष आलू की अच्छी फसल होने की संभावना है। पिछले साल भी इसका पैदावार बेहतर हुआ था। किसान इसे अच्छे दामों पर बेचने की चाहत भी रखते हैं। लेकिन स्थिति यह है कि वे लोग अपने आलू को ज्यादा दिनों तक नहीं रख सकते हैं। इसके लिए भंडारण का अभाव है। सरकारी स्तर पर किसी प्रकार की कोई भंडारण की व्यवस्था नहीं रहने के कारण आलू को खराब होने की संभावना बनी रहती है।परिणामस्वरूप औने पौने दामों में ही लोगों को इसे बेचने की मजबूरी रहती है। सुनें किसानों की स्थिति ऐसी है कि जब हमलोगों के खेतों से आलू फसल की उपज होती है तो बाजार में यह काफी सस्ता रहता है। ऐसे में हमलोग चाहते हैं कि उस समय अपने आलू को बेचें जब इसकी कीमत उंचाई पर होती है। लेकिन भंडारण के अभाव में यह संभव नहीं हो पा रहा है।
सतीश ¨सह
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हमलोग शीतक केंद्र की मांग को लेकर कई बार अधिकारियों से फरियाद लगाए हैं। इस जिले में तो शीतक केंद्र नहीं है। पड़ोस के जहानाबाद में भी कोल्ड स्टोरेज नहीं है। परिणामस्वरूप घरों में ही आलू को रखना पड़ता है। ज्यादा दिनों तक रखने से यह खराब हो जाता है।
बबलू ¨सह
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किसानों के सामने कई समस्याएं हैं। इस इलाके में आलू की अच्छी पैदावार होती है। लेकिन भंडारण की कोई व्यवस्था नहीं रहने के कारण इसका लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है।
नकूल कुमार
फोटो-33 क्या कहते हैं प्रखंड विकास पदाधिकारी शीतक केंद्र की व्यवस्था होनी चाहिए। इस समस्या को वरीय अधिकारियों के समक्ष रखी जाएगी। इसकी क्या प्रक्रिया है इसकी जानकारी प्राप्त कर हमारा प्रयास होगा कि प्रखंड क्षेत्र में शीतक केंद्र की व्यवस्था की जाए।
प्रभाकर कुमार