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सरकारी लाभ के लिए भटक रहे दिवंगत बीईओ के परिजन

करपी के पूर्व प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी शालीक राम शर्मा की हत्या की घटना के एक साल से भी अधिक समय बीत गया है। लेकिन अभी भी उनके परिजनों को सरकारी लाभ के लिए कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Aug 2018 09:38 PM (IST)Updated: Thu, 30 Aug 2018 09:38 PM (IST)
सरकारी लाभ के लिए भटक रहे दिवंगत बीईओ के परिजन
सरकारी लाभ के लिए भटक रहे दिवंगत बीईओ के परिजन

अरवल । करपी के पूर्व प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी शालीक राम शर्मा की हत्या की घटना के एक साल से भी अधिक समय बीत गया है। लेकिन अभी भी उनके परिजनों को सरकारी लाभ के लिए कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है।

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बताते चलें कि फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई करने के कारण पिछले 29 अगस्त को कार्यालय में ही अपराधियों ने उन्हें गोली मारकर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया था। इलाज के दौरान 31 अगस्त को उनकी मौत हो गई थी। इस घटना में पूरे जिलेवासियों को झकझोर कर रख दिया था। अपने ईमानदार पदाधिकारी की हत्या के विरोध में शिक्षकों ने व्यापक आंदोलन किया था। वरीय पदाधिकारियों ने परिजनों को सभी लाभ उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया था। हालांकि इस मामले में एसपी के निर्देश पर टीम गठित कर अपराधियों की गिरफ्तारी तो की गई थी, लेकिन स्पीडी ट्रायल चलाने का आश्वासन पूरा नहीं हो सका। दिवंगत बीईओ के पुत्र वरुण बताता है कि नियमानुसार आश्रित को सरकारी नौकरी तथा माता जी को पेंशन मिलना चाहिए लेकिन अब तक न तो नौकरी मिल सका है और नहीं पेंशन। इसके लिए वह कभी प्रखंड कार्यालय तो कभी जिला मुख्यालय का चक्कर लगाने को मजबूर है। एक ओर तो अपने पिता के खोने का गम है तो दूसरी ओर प्रशासन के लाल फीताशाही रवैया इस कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के परिजनों के साथ न्याय नहीं कर रहा है।

बताते चलें कि शालीकराम कड़क पदाधिकारी थे। हमेशा अनुशासन के साथ कर्तव्यों का निर्वहन करते थे। इनके कार्यकाल में प्रखंड क्षेत्र में विद्यालयों का संचालन भी बेहतर तरीके से होता था। उन्होंने इलाके में फर्जी तरीके से शिक्षक बने लोगों पर कार्रवाई करना शुरू किया। इस कार्रवाई के कारण उन्हें धमकी भी मिली लेकिन वे इसकी परवाह नही करते हुए अपने क‌र्त्तव्यों का निर्वहन करते रहे। परिणामस्वरूप अपराधियों ने उनपर गोलियों की बौछार कर दी थी। पटना जिले के पालीगंज क्षेत्र के रहने वाले इस अधिकारी के परिजनों को बार-बार इस कार्य के लिए यहां आना पड़ रहा है। जिस अधिकारी ने ईमानदारी के लिए अपनी जान तक की कुर्बानी दे दी उसके परिजनों को इस तरह भटकना व्यवस्था पर कई सवाल खड़ा कर रहा है। क्या कहते हैं जिलाधिकारी

जहां तक सरकारी नौकरी की बात है तो अभी अनुकंपा समिति की बैठक हुई थी। जिसमें आवश्यक कागजात दिया जाना था। उनके परिजनों से भी पेपर की मांग की गई थी, लेकिन अभी सभी दस्तावेज प्राप्त नहीं हो सका है। आवश्यक कागजात मिलते ही आश्रित को नौकरी मिल जाएगा। बीईओ के बेवा को पेंशन के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी को कहा गया है। जल्द ही उनका पेंशन बन जाएगा।

सतीश कुमार ¨सह


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