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जैव अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई सह वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन केंद्र का कुलपति ने किया उद्घाटन

------------------------------------- करजाईन बाजार संवाद सूत्र (सुपौल) बसन्तपुर प्रखंड के संस्

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 Oct 2021 11:58 PM (IST)Updated: Fri, 29 Oct 2021 11:58 PM (IST)
जैव अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई सह वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन केंद्र का कुलपति ने किया उद्घाटन
जैव अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई सह वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन केंद्र का कुलपति ने किया उद्घाटन

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करजाईन बाजार, संवाद सूत्र (सुपौल): बसन्तपुर प्रखंड के संस्कृत निर्मली स्थित बुजुर्ग संसाधन केंद्र में शुक्रवार को बुजुर्ग स्वयं सहायता समूह के द्वारा जैव अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई (सुखेत मॉडल) सह वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन केंद्र का विधिवत फीता काटकर उद्घाटन डा. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर के कुलपति डा. रमेश चन्द्र श्रीवास्तव ने किया। तत्पश्चात अक्षयवट बुजुर्ग महासंघ के पदाधिकारियों के द्वारा आगत अतिथियों को मिथिला परंपरा के अनुसार मखाना के माला, पाग एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। स्वयंसेवी संस्था हेल्पेज इंडिया के समाधान परियोजना के तहत एचएसबीसी के सहयोग से आयोजित इस समारोह को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ. रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि गत दिनों प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात कार्यक्रम में जिस सुखेत मॉडल का जिक्र किया था, उसका एक रूप आज सुपौल जिले के संस्कृत निर्मली की धरती पर भी साकार होने जा रहा है। यहां निर्मित जैव अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई (सुखेत माडल) सह वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन केंद्र में अब 250 टन क्षमता वाली वर्मी कम्पोस्ट यूनिट का शुभारंभ कर दिया गया है। इस यूनिट के स्थापना से क्षेत्र के गांवों के वातावरण को स्वच्छ बनाने में भी मदद मिलेगी। अब गांव का गोबर एवं कचरा यत्र-तत्र बिखरा नहीं रहेगा। गांवों से गोबर एवं कचरा एकत्रित कर केंद्र तक लाया जाएगा। इसके बदले बुजुर्ग किसानों को गैस सिलेंडर प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 30 किलोग्राम प्रतिदिन गोबर देनेवाले परिवार को दो महीने पर एक गैस सिलेंडर दिया जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि सरकार के उज्ज्वला योजना को सफल बनाने में मदद मिलेगी, जो परिवार सिलेंडर खरीदने में असमर्थ हैं उन्हें गोबर के बदले सिलेंडर प्रदान किया जाएगा। इससे ग्रामीण महिलाओं को चूल्हे के धुएं के बीच खाना बनाने से भी छुटकारा मिलेगी। साथ ही कई परिवारों को रोजगार भी उपलब्ध होगा। समारोह को संबोधित करते हेल्पेज इंडिया के राष्ट्रीय निदेशक (आजीविका एवं आपदा प्रबंधन) गिरीश चन्द्र मिश्र ने कहा कि अब अक्षयवट बुजुर्ग महासंघ के बुजुर्ग गांवों में गोबर सहित अन्य कचरा को एकत्रित कर वर्मी कम्पोस्ट केंद्र पर लाकर उसका उपयोग खाद के रूप में करेंगे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अगर सूझबूझ से काम करेंगे तो गांव भी स्वच्छ होगा तथा खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए वर्मी कम्पोस्ट के रूप में खाद भी उपलब्ध हो जाएगा। बुजुर्ग किसान गोबर एवं कचरा देकर गैस सिलेंडर या वर्मी कम्पोस्ट खाद ले सकते हैं। समारोह को डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर के मृदा वैज्ञानिक डॉ. शंकर झा, मृदा विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एमसी मन्ना, निदेशक ( अनुसंधान) डॉ. मिथिलेश कुमार ने भी संबोधित करते हुए वृहत रुप से चर्चा की। धन्यवाद ज्ञापन हेल्पेज इंडिया के राज्य प्रभारी आलोक कुमार वर्मा एवं मंच संचालन संजय कुमार मिश्र ने किया। वहीं स्वागत गण वयोवृद्ध कमल नारायण सिंह ने प्रस्तुत की। समारोह के सफल संचालन में अक्षयवट बुजुर्ग महासंघ के अध्यक्ष सीताराम मंडल, सचिव हेमलता देवी, सदस्य आशा देवी, हेल्पेज इंडिया के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी अभिषेक कुमार, जिला समन्वयक प्रभाष कुमार, कार्यक्रम पदाधिकारी राकेश क्षत्रिय, कार्यकर्ता जितेंद्र झा, प्रकाश कुमार, राजकुमार मिश्र, नूर आलम, मु. हासिम, बालगोविद मेहता, नवीन मिश्र सहित संस्था के कार्यकर्ताओं का सराहनीय सहयोग रहा। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बुजुर्गों ने भाग लिया।


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