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स्वतंत्रता के सारथी : सूचना का अधिकार को बनाया हथियार किया भ्रष्टाचार पर वार

जागरण संवाददाता सुपौल सूचना का अधिकार के तहत जिले में कई मामले व घोटाले उजागर हुए

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2022 12:31 AM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2022 12:31 AM (IST)
स्वतंत्रता के सारथी : सूचना का अधिकार को बनाया हथियार किया भ्रष्टाचार पर वार
स्वतंत्रता के सारथी : सूचना का अधिकार को बनाया हथियार किया भ्रष्टाचार पर वार

जागरण संवाददाता, सुपौल : सूचना का अधिकार के तहत जिले में कई मामले व घोटाले उजागर हुए हैं। इस अधिनियम से सरकारी तंत्र पर लगाम लगाने को ले जिले के कई लोग आगे आए उन्हीं लोगों में से एक हैं राघोपुर प्रखंड के सिमराही निवासी घनश्याम प्रसाद। इन्होंने इसे हथियार बनाकर भ्रष्टाचार पर कई बार वार किया।

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अभाविप से जुड़े थे घनश्याम

छात्र जीवन से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और बाद में सीमा जागरण मंच से जुड़े घनश्याम प्रसाद ने सूचना के अधिकार को अपना हथियार बनाया। सूचना के तहत उनके द्वारा जल संसाधन विभाग, स्वास्थ्य विभाग, बैंक से संबंधित मामले, राघोपुर प्रखंड कार्यालय, कोसी क्षेत्र में चल रही सरकारी योजनाएं और उन्हें कार्यान्वित करने वाले एनजीओ, वन विभाग आदि से संबंधित उन्होंने कई सूचनाएं मांग कर कई मामले का पर्दाफाश किया है।

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122 मामलों में वे स्वयं उपस्थित हुए

ये बताते हैं कि उनके द्वारा आवेदक या आवेदक के प्रतिनिधि के रूप में 122 मामले राज्य सूचना आयोग पटना में लाए गए जिसमें वे स्वयं उपस्थित हुए। केंद्र सरकार से संबंधित सात मामले में वे केंद्र सूचना आयोग दिल्ली में उपस्थित हुए। बिहार लोक सेवा शिकायत निवारण कानून आने के बाद 46 मामले उठाए जिसमें अब तक 21 मामले में कार्रवाई हो चुकी है।

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25-25 हजार लगा जुर्माना

घनश्याम प्रसाद द्वारा मांगी गई सूचना के आलोक में गलत सूचना उपलब्ध कराने व ससमय सूचना नहीं देने पर राज्य सूचना आयोग द्वारा दो सरकारी पदाधिकारी पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। बैंक संबंधी मामले में मांगी गई सूचना के आलोक गलत सूचना देने पर सेंट्रल बैंक आफ इंडिया राघोपुर के शाखा प्रबंधक पर विभागीय कार्रवाई भी हुई। फिलहाल ये सूचना के अधिकार अधिनियम को ही हथियार बनाए हुए हैं और सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की दिशा में भूमिका निभा रहे हैं।

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भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में कारगर है यह हथियार

उन्होंने बताया कि सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और पारदर्शिता बनाए रखने को ले सूचना का अधिकार सर्वाधिक प्रभावी है। 12 अक्टूबर 2005 से यह प्रभावी है। यह जनता के हाथ एक ऐसा अधिकार है, जिसके माध्यम से देश की जनता सरकारी तंत्र पर न केवल निगरानी रख सकती है बल्कि सरकारी तंत्र पर लगाम भी लगा सकती है। सूचना अधिकार अधिनियम के तहत उन सभी सूचनाओं की जानकारी दिए जाने का प्राविधान है जो मांगी गई है।


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