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मांगों को लेकर आंगनबाड़ी सेविका ने निकाला आक्रोश मार्च

अररिया। बिहार राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन की जिला शाखा ने अपनी मांगों को लेकर जिला

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 01:41 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jan 2019 01:41 AM (IST)
मांगों को लेकर आंगनबाड़ी सेविका ने निकाला आक्रोश मार्च
मांगों को लेकर आंगनबाड़ी सेविका ने निकाला आक्रोश मार्च

अररिया। बिहार राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन की जिला शाखा ने अपनी मांगों को लेकर जिला मुख्यालय में आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया। जिसमें शामिल सैकड़ों सेविकाएं शहर के सभी मुख्य सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए समाहरणालय पहुंची और पीएम-सीएम को संबोधित ज्ञापन सौंपा है। इससे पहले सरकार के खिलाफ नारा लगाते रैली बस स्टैंड पहुंची जिससे थोड़ी के लिए एनएच पर जाम की हालात बन गई। इस मौके पर जिलाध्यक्ष सुनीता देवी, जिला प्रवक्ता जफर शम्सी, •िाला संरक्षक उमा शंकर भगत, जिला माह सचिव सुमन देवी, सेविका ¨रकी देवी, वा•ोदा तबस्सुम, जहां आरा, सारिका कुमारी, तरन्नुम जहां,वीना यादव, राम विनय आदि नेतृत्व करते हुए आगे-आगे चल रहीं थी। वहीं, ज्ञापन सौंपने के बाद जिलाध्यक्ष ने पत्रकारों को जानकारी दी कि मंगलवार को जिले की सभी सेविकाओं ने शहर में जन आक्रोश रैली में शामिल हुईं हैं और बुधवार को प्रखंड स्तर पर रैली निकालेंगी। बिहार की सभी आंगनबाड़ी सेविका पिछले पांच दिसंबर से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं । सरकार हमारी मांगों को नहीं सुन रही है। कम मानदेय के चलते सेविका-सहायिका का परिवार भुखमरी के कगार पर है। सरकार के नकारात्मक सोच के चलते वार्ता किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है। सेविका संघ ने अपने 15 सूत्री मांगों को लेकर लगातार संघर्ष करता रहेगा।

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सरकार लागू करे रसोइययों से किए गए वादे संसू, रानीगंज : रानीगंज प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न विद्यालयों में कार्यरत एमडीएम रसोइयों ने प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित बीआरसी के सामने मंगलवार को जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन की। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिला सचिव चंद्रिका ¨सह चौहान ने कहा कि सरकार हमारी मांगे अविलंब पूरी करे। हमारी मांगें है 28 मई 2018 को एमडीएम रसोइया संयुक्त संघर्ष समिति एवं प्रधान सचिव शिक्षा विभाग बिहार के बीच हुए समझौता को लागू करने, केरल, हरियाणा, कर्नाटक, गोवा, त्रिपुरा सहित अन्य राज्यों की तर्ज पर बिहार में भी रसोइया के प्रतिमाह मानदेय में बढ़ोतरी हो। रसोइया को स्थायीकरण तथा 45वें राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के सिफारिश के अनुसार रसोइयों को श्रमिक का दर्जा देते हुए 18,000 प्रतिमाह मानदेय की गारंटी मिले। पारिश्रमिक 10 महीने की बजाय 12 महीने का भुगतान, सभी को स्वास्थ्य बीमा योजना के दायरे में लाया जाय, रसोइया को पेंशन, ग्रेच्युटी, पीएफ, मातृत्व अवकाश, आकस्मिक अवकाश सहित सामाजिक सुरक्षा की गारंटी मिलनी चाहिए। कार्यरत रसोइयों को चयन पत्र अविलंब निर्गत किया जाय। इस मौके पर नारद पासवान, बेचन प्रसाद ¨सह, रमेश यादव, मीरा देवी, रियाज, ललीता देवी, मरियम खातून, रीता देवी, प्रीति देवी, शांति देवी, बिजेन्द्र यादव सहित सैकड़ों मिड डे मील रसोइंया उपस्थित थे। कोट कहीं 30 रुपये में गुजारा होता है। हम लोग साढ़े नौ बजे आ जाते हैं और साढ़े तीन बजे जाते हैं। सरकार को हम जैसे गरीब महिलाओं की हालात पर नजर डालनी चाहिए। सड़क पर चाय बेंचने पर भी 30 रुपये से अधिक आय होगी। कम से कम सरकार द्वारा घोषित दैनिक मजदूरी तो दीजिए।

--गीता देवी, रसोइया, मध्य विद्यालय चंद्रदेयी।


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