अक्षय नवमी पर महिलाओं ने की आंवले के वृक्ष की पूजा
अररिया। जिले में अक्षय नवमी का पर्व श्रद्धापूर्वक सोमवार को मनाया गया। नरपतगंज प्रखंड के बसमतिया ब
अररिया।
जिले में अक्षय नवमी का पर्व श्रद्धापूर्वक सोमवार को मनाया गया। नरपतगंज प्रखंड के बसमतिया बाजार स्थित रामजानकी मंदिर परिसर में सोमवार को सैकड़ों महिलाओं ने कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को अक्षय नवमी के रूप में मनाया गया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सतयुग का आरंभ इसी दिन को माना गया है, इसी दिन आंवला के वृक्ष की पूजा करने की विधान है। उक्त बातें पंडित मनोज झा ने कही। उन्होंने कहा कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु सहित सभी देवी देवताओं का वास होता है । इसलिए प्रात: काल स्नान कर आंवले के वृक्ष को जल अर्पित कर विधान पूर्वक पूजन करने के साथ अक्षयनवमी के दिन भातुआ को काटकर उसमें द्रव्य राशि का तथा भूमि के भीतर सप्तधान का गुप्तदान करने के उपरांत वृक्ष के नीचे भोजन पका कर खाने से अक्षयपुण्य प्राप्त होता है। धार्मिक महत्व-कार्तिक माह के प्रारंभ से प्रात:काल स्नान कर आंवले के वृक्ष में जल देने का महत्व अत्यन्त हीं फलदायक होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अक्षयनवमी के दिन विधान पूर्वक आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है। जिसके उपरांत भूमि के भीतर अनाज का दान करने की मान्यता है। वहीं भातुआ के फल में द्रव्य का दान का भी विधान है मान्यताओं के मुताबिक स्वर्ण का गुप्तदान करने भी परंपरा है । जिससे दान करने वाले को अक्षयपुण्य की प्राप्ति के साथ उसके पापों का क्षरण भी होता है। वैज्ञानिक एवं आयुर्वेद के अनुसार: विज्ञान एवं आयुर्वेद में आंवले को सौ मर्ज की एक दवा यानी आंवले के फल को बताया गया है जो मानव शरीर को आरोग्य प्रदान करता है। आंवले को औषधीय गुणों का खजाना के साथ-साथ जीवन चक्र को संचालित करने से बाधक विकारों को नष्ट करने वाला बताया गया है। अक्षय नवमी वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ संपन्न हुआ। इस मौके पर आशा देवी, मीना देवी, पूजा कुमारी, सावित्री देवी, रामरति देवी, अमोलीया देवी, राजकुमारी देवी, शशि कला देवी ,बच्चा देवी, जानकी देवी, रीता कुमारी, पार्वती कुमारी, पिकी कुमारी, लाडली कुमारी, आरती कुमारी, मनीषा कुमारी, फुलचुन गुप्ता, जानकी देवी सहित सैकड़ों महिलाएं शामिल थी। वहीं संसू कुर्साकांटा के अनुसार सोमवार को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि के अवसर पर महिलाओं ने अक्षय नवमी एवं आंवला नवमी का पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया। उल्लेखनीय है कि हमारी भारतीय संस्कृति में सदियों से प्रकृति के हर चीज को पूजनीय माना गया है । किसी ना किसी के पर्व के रूप में गौ माता के गोबर से लेकर पेड़ पौधे तक श्रद्धाभाव से पारम्परिक ढंग से पूजे जाते हैं । कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को हमारे देश में सदियों से अक्षय नवमी ,मनाया जाता है । इसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाना जाता है । सोमवार को महिलाओं ने पौराणिक मान्यता के अनुसार अक्षय पुण्य की प्राप्ति के लिए आंवला पेड़ के निकट इस व्रत को सम्पन्न किया । ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्री हरि विष्णु,के प्रिय आंवले पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है । शास्त्र के मतानुसार कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि से कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले पेड़ पर निवास करते हैं । इसलिए जो भी व्यक्ति इस दिन आंवले पेड़ की पूजा करते हैं उसे जीवन में सौभाग्य ओर उन्नति मिलती है । यह पर्व दीपावली के नौ दिन के उपरांत मनाया जाता है । इसमें दान का विशेष महत्व बताया गया है । महिलाएं आज के दिन आंवले पेड़ के जड़ में दूध चढ़ाकर अक्षत रौली अर्पित करती है ।पेड़ में कच्चा सूत लपेटकर सातबार उसकी परिक्रमा करती है । पेड़ के पास दिए जलाती है । इसके बाद पेड़ के नीचे ब्राह्मण भोजन कराती है । ऐसी मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन आंवले पेड़ के नीचे भोजन करने और दूसरे को भोजन कराने से सौभाग्य व समृद्धशाली जीवन प्राप्त होता है । इसदिन किये किये गए किसी भी पुण्यकर्म का फल अक्षय होता है । जिसमें दानकर्म का विशेष महत्व बताया गया है । इसलिए इसे अक्षय नवमी कहा गया है ।