अधिकांश स्कूलों में नहीं हैं साइंस के टीचर
अररिया। अधिकांश गरीब वर्ग के बच्चे जिले के गांवों में स्थित सरकारी स्कूलों में शिक्षा के अ
अररिया। अधिकांश गरीब वर्ग के बच्चे जिले के गांवों में स्थित सरकारी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार के तहत अध्ययनरत हैं। वहीं, इन स्कूलों में साइंस के टीचर ही नहीं है। ऐसे में गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के समुचित ज्ञान से ग्रामीण इलाके के स्कूलों के बच्चे वंचित हो हैं। यह स्थिति तब है जबकि शिक्षा के अधिकार कानून लागू हुए आठ वर्ष बीत चुके हैं। इस संबंध में देश के नेपाल सीमा पर स्थित मध्य विद्यालय सोनापुर को बतौर उदाहरण लिया जा सकता है। यह स्कूल मिडिल से अपग्रेड होकर हाईस्कूल बन चुका है। वर्ग छह से आठ तक की शिक्षा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की बच्चियां इसी स्कूल में प्राप्त कर रही हैं। विशालकाय परिसर में स्थित इस विद्यालय में छह से आठ तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए साइंस के टीचर नहीं हैं जिससे गणित और विज्ञान विषय की पढ़ाई जैसे-तैसे चल रही है। अपग्रेड हाईस्कूल में तो एक भी टीचर नहीं है, जबकि तीसरे बैच के मैट्रिक के छात्र-छात्रा परीक्षा 2019 में देने जा रहे है। इसके अलावा अधिकांश बच्चे टूटी-फूटी फर्श पर बैठकर पढ़ने को विवश हैं। उच्च विद्यालय में प्रयोगशाला के लिए भी भवन नहीं है। अन्य बुनियादी सुविधाओं में सोनापुर बाजार में स्थित इस स्कूल की चारदीवारी अपूर्ण है। लगभग 700 मीटर चारदीवारी के अभाव में स्कूल परिसर पूर्णतया असुरक्षित है। वहीं, स्कूल की निजी माली हालात इतनी दयनीय है कि वर्ग कक्ष की टूटी हुई फर्शों की मरम्मत तक के लिए राशि नहीं है। कोट जिले में विज्ञान के शिक्षकों का अभाव है। कुल 628 मध्य विद्यालयों को लिए इतने ही साइंस के टीचरों के जरूरत है। जिले में इस समय साइंस के केवल 130 टीचर उपलब्ध हैं। आने वाले समय शिक्षकों की नियुक्ति करके साइंस टीचरों के खाली पदों को भरा जाएगा।
-अशोक मिश्रा, डीईओ अररिया। -कोट-
मध्य विद्यालय सह उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय सोनापुर, नरपतगंज के पुराने विद्यालयों में से एक है। राशि के अभाव में फर्श की मरम्मत नहीं हो पा रही है। चारदीवारी भी सात सौ मीटर अपूर्ण है। स्कूल के पास मरम्मत की राशि नहीं है। मध्य विद्यालय में गणित और विज्ञान और हाईस्कूल में एक भी शिक्षक नहीं हैं। -राजेंद्र पासवान, एचएम, मध्य विद्यालय सोनापुर।