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आवश्यक:पति पत्नी गृहस्थ जीवन रूपी गाड़ी के हैं दो पहिये: व्यास जी महाराज

संवाद सूत्र फुलकाहा (अररिया) सच्चिदानंद ब्रह्मा है जिनके चरणों में नमन करने से जीव सर्वथा

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 11:50 PM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 11:50 PM (IST)
आवश्यक:पति पत्नी गृहस्थ जीवन रूपी गाड़ी के हैं दो पहिये: व्यास जी महाराज
आवश्यक:पति पत्नी गृहस्थ जीवन रूपी गाड़ी के हैं दो पहिये: व्यास जी महाराज

संवाद सूत्र, फुलकाहा (अररिया):

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सच्चिदानंद ब्रह्मा है जिनके चरणों में नमन करने से जीव सर्वथा पाप विमुक्त हो जाता है। उक्त बातें वृंदावन से पधारे कथावाचक व्यास जी महाराज ने नरपतगंज प्रखंड के नवाबगंज पंचायत स्थित भोड़हर सलहेस जी महाराज स्थान परिसर में चल रहे सात दिवसीय श्रीमछ्वागवत कथा के अंतिम दिन शनिवार को अपने अमृत वचन में कहा। कथा स्थल पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। आओ मेरी सखियों मुझे मेहंदी लगा दो जैसे भजन पर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह नजर आया। श्रद्धालुओं के जनसैलाब के आगे कथा स्थल पर जगह छोटा पड़ गया। कथा के दौरान भक्ति भजनों पर महिलाएं-पुरुष झूमते नजर आये। सात दिनों तक भोड़हर गांव सहित आसपास का पूरा इलाका भक्ति भजनों से गूंजायमान होता रहा। श्रीमद भागवत कथा के अंतिम दिन सैकड़ों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने भागवत पूजन करते हुए व्यास पूजन भी किया। क्षेत्रीय लोगों के द्वारा कथा व्यास जी महराज का भव्य स्वागत किया गया तथा दीक्षांत समारोह में अनेक लोगों ने व्यास जी महाराज से दीक्षा भी ली। कथा को आगे बढ़ाते हुए कथा व्यास जी महाराज ने दाम्पत्य जीवन पर प्रवचन करते हुए कहा कि पति पत्नी गृहस्थ जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिये हैं। एक में भी कमी आई तो परिवार को टूटने से कोई नहीं बचा सकता। कथा में सुदामा चरित्र का भाव पूर्ण वर्णन किया गया। उन्होंने कहा कि यदि आप पिता हैं तो अपनी संतान को ऐसे संस्कार जरूर देना कि वे सदा जीवन में राष्ट्र के काम आवे।हरिद्वार से पहुंचे हरिओम जी महाराज ने बताया कि हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमण्डल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्थाऐं जागृत होती हैं। दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद् भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। कथा का समापन हवन के साथ किया गया। मौके पर आयोजक नारायण परसेला, बंधुनाथ यादव, दयानंद यादव, रामचंद्र मेहता, प्रमोद यादव, उज्जवल यादव, नरेश यादव, राजू यादव, निरंजन मेहता, सुरेश भास्कर, मुरली कुमार आदि लोग उपस्थित थे।


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