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भूखे रह जाता है राजा, स्कूल नहीं आती मुन्नी

सहरसा। राजा के पिता मजदूरी करने बाहर गए हैं। मां मजदूरी करने सुबह में निकल जाती है। घ

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Dec 2017 02:58 AM (IST)Updated: Wed, 13 Dec 2017 02:58 AM (IST)
भूखे रह जाता है राजा, स्कूल नहीं आती मुन्नी
भूखे रह जाता है राजा, स्कूल नहीं आती मुन्नी

सहरसा। राजा के पिता मजदूरी करने बाहर गए हैं। मां मजदूरी करने सुबह में निकल जाती है। घर से कुछ खाने के बाद राजा स्कूल इसलिए जाता था कि उसे वहां दोपहर का भोजन मिल जाएगा और कुछ पढ़ भी लेगा। मां भी निश्चिंत रहती थी कि राजा के लिए रात को ही खाना खिलाना है। लेकिन पिछले एक सप्ताह से राजा दिन में भूखे ही रह जाता है। यही हाल मुन्नी का है। दो दिन भूखे रहने के बाद अब वह अपनी मां के साथ ही काम पर चली जाती है ताकि भोजन मिल सके। यह स्थिति एक राजा या मुन्नी की नहीं है बल्कि हजारों स्कूली बच्चों की है। जिले के स्कूलों में एमडीएम बंद होने के बाद एक ओर जहां उपस्थिति प्रभावित हुई है वहीं बच्चे स्कूल जाने से कतराने लगे हैं।

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शहर के उत्क्रमित मध्य विद्यालय में दूसरी कक्षा में अध्ययनरत छात्र राजा ने कहा कि माय खेत में काम करैय छैय और बाउ दिल्ली में मजदूरी करैय छैय। भोर में खायके स्कूल आबै छिये फेर सांझ के घर में माय आबै छैय तब खाना बनाय कैय खिलबैय छैय। लेकिन कय दिन सय दिन मय भूखलै रहे छियै..। यह सर्वविदित है कि सरकारी स्कूल में अधिकांश गरीबों के ही बच्चे पढ़ते है। गरीब परिवार के लोग पुरुष वर्ग मजदूरी करते है और महिलाएं घरों या खेतों में काम करती है। बच्चें दिनभर स्कूल में रहते है और एमडीएम खाकर दिन गुजारते है। लेकिन इन दिनों शिक्षकों के एमडीएम के बहिष्कार से बच्चों को स्कूल में भोजन नहीं मिलता है। ऐसी स्थिति में बच्चों को दिन का भोजन मिलना मुश्किल हो गया है। जेल कोलोनी मध्य विद्यालय में अध्ययनरत आशीष कुमार, मंजेश, राधा कुमारी, अनिल दास आदि ने बताया कि एमडीएम नहीं मिलने से परेशानी बढ़ गयी है।

चार दिसंबर से बंद है एमडीएम

जिले के कहरा प्रखंड में चार दिसंबर से ही सभी स्कूलों में मध्याह्न भोजन बंद है। शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य से हटाने की मांग पर अडिग शिक्षकों ने मध्याह्न भोजन एक सप्ताह से बंद कर दिया, जिससे बच्चों की उपस्थिति संख्या में भी कमी आ रही है।

224569 बच्चों का बनता था एमडीएम

सरकारी स्कूलों में प्रतिदिन 224569 बच्चों का एमडीएम बनता था। वर्ग एक से पांच वर्ग तक 100 ग्राम चावल के अतिरिक्त प्रति बच्चा 4.13 पैसे एवं वर्ग छह से आठ तक 150 ग्राम चावल के अतिरिक्त् 6.18 पैसे प्रति बच्चें की दर से भुगतान किया जाता है। जिले के 1276 स्कूलों में 395542 बच्चे नामांकित है। जिसमें से 224569 बच्चे एमडीएम का लाभ लेते हैं।

कोट

एमडीएम फिलहाल बंद है। शिक्षक संघ से वार्ता जारी है। इससे विभाग व उच्चाधिकारी को अवगत करा दिया गया है।

-मनोज कुमार, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, मध्याह्न भोजन


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