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जल पृथ्वी का बहुमूल्य संसाधन व जीवन का है प्रतीक

अररिया। स्थानीय प्रोफेसर कॉलोनी स्थित पीडब्ल्यूडी प्रांगण में बिहार बालमंच फारबिसगंज के द्वार

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 01:29 AM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 01:29 AM (IST)
जल पृथ्वी का बहुमूल्य संसाधन व जीवन का है प्रतीक

अररिया। स्थानीय प्रोफेसर कॉलोनी स्थित पीडब्ल्यूडी प्रांगण में बिहार बालमंच, फारबिसगंज के द्वारा एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानाध्यापक हर्ष नारायण दास द्वारा गाए तनि पनिया बचाव, पनिया ना बचइबु तो खेती कैसे होई.. भोजपुरी गीत से हुआ। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए बाल साहित्यकार हेमंत यादव, प्रधानाध्यापक दास और मंच संचालक विनोद कुमार तिवारी ने बताया कि जल न केवल एक प्राकृतिक तथा बहुमूल्य संसाधन है, बल्कि यह जीवन का प्रतीक भी है। हम मनुष्यों, पशु- पक्षियों और पेड़ पौधों के जीवन का आधार जल ही है। करोड़ों साल पूर्व धरती एवं जीवों की श्रृष्टि जल से ही हुई था। उन्होंने बताया कि मानव सभ्यता और कृषि का विकास नदियों और जल स्त्रोतों के पास ही हुआ, जैसे सिधु घाटी सभ्यता, मिस्त्र की सभ्यता, चीन की सभ्यता आदि नदियों के पास ही विकसित हुई। बच्चों को जानकारी दी भारतीय सभ्यता और संस्कृति में जल को जीवन से जोड़ कर रखा गया है। इस अत्यंत महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन को सम्मान देने की हमारी संस्कृति एवं परंपरा रही है। रामायण, महाभारत, पुराण, वृहत-संहिता जैसे प्राचीन भारतीय साहित्य में भी जल संचय के पारंपरिक तरीकों का हमें उल्लेख मिलता है। जबकि महाकवि रहीम ने भी बिन पानी सब सून जैसे अनमोल पंक्ति लिखकर पानी के महत्व का सन्देश दिया है। इस अवसर पर बच्चों ने भी जल विषय पर गीत, कविता आदि सुनाया।

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