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टोकरी की कीमत बढ़ने पर भी नहीं मिल रहा मेहनताना

अररिया। आस्था का महापर्व छठ के आगमन के साथ सूप, डाला, डगरा, कोनिया एवं टोकरी आदि साम

By JagranEdited By: Published: Wed, 31 Oct 2018 01:31 AM (IST)Updated: Wed, 31 Oct 2018 01:31 AM (IST)
टोकरी की कीमत बढ़ने पर भी नहीं मिल रहा मेहनताना

अररिया। आस्था का महापर्व छठ के आगमन के साथ सूप, डाला, डगरा, कोनिया एवं टोकरी आदि सामानों का बाजार जोर पकड़ने लगा है। वहीं डलिया का मूल्य ढाई-तीन सौ रुपये तक पहुंच गया है। इसके बावजूद डालिया-सूप बनाने के परंपरागत पेशे जुड़े लोगों को सही मेहनताना नहीं पा रहा है। इस संपत मरिक अमर मरिक, घोघन मरिक, कन्हैया मरिक, प्रमिला, तेतरी मलिक आदि ने बताया कि अच्छे किस्म के एक बांस का कीमत डेढ़ सौ से पौने दो सौ रुपये तक पहुंच गया है। मेहनत -मजदूरी मिलाकर एक टोकरी बनाने का कीमत ढाई से तीन सौ तक पड़ रही है। इसके बावजूद भी सही मजदूरी नहीं मिल पा रही है। इससे पहले इन लोगों ने बताया कि घर के सारे सदस्य मिलकर दिन- रात टोकरी और सूप बनाने का काम करते हैं। इस हिसाब से प्रति व्यक्ति कम से कम दो-ढाई सौ रुपये की कमाई होनी चाहिए, वहीं सूप और डालने बेचने पर लागत भी निकालना मुश्किल हो गई है। बांस के समान खरीदने वाले लोगों को सूप और डलिया काफी महंगे लग रहे हैं। इधर, छठ पर्व करने वाली व्रतियों के मुताबिक इस बार का पर्व काफी महंगा साबित होगा। बांस के सामान की खरीदारी में ही एक हजार तक का बजट आ रहा है। इसके अलावा अन्य पूजन सामग्री भी बाजार में ऊंचे भाव में बिक रहे हैं।

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