आर्थिक संबल की धुरी बनीं साक्षरता दीदी
अररिया। महिला कल्याण, स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास और प्रजनन व शिशु स्वास्थ्य की जानकारी साक्षरता क
अररिया। महिला कल्याण, स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास और प्रजनन व शिशु स्वास्थ्य की जानकारी साक्षरता केंद्र पर जिले की महिलाओं को दी जा रही है। जिससे जीवन जीने के तरीकों में अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ है। सबसे अधिक परिवर्तन साक्षर महिलाओं में बच्चों को स्कूल भेजने की सजगता में दिख रही है। अररिया साक्षरता दर आज 65 फीसद पहुंच गई है।
आज से दो दशक पूर्व अररिया शिक्षा और साक्षरता के मामले में बिहार के सबसे पिछले जिले की श्रेणी में शामिल था। उस समय साक्षरता दर मात्र 35 फीसद था। महिलाओं की साक्षरता दर उस समय 22 प्रतिशत थी। पूरे बिहार में नीचे से दूसरे स्थान पर रहने वाला जिला आज बिहार में 12वें स्थान पर है। इसका श्रेय मुस्लिम समाज में तालीम के महत्व की समझ में वृद्धि को दिया जा रहा है। बेटों के साथ बेटियों को भी पढ़ते हुए देखा जा रहा है। जिस समाज में लोग पहले अपनी बेटियों को पढ़ाना नहीं चाहते थे आज उसी समाज की बेटियां शिक्षा प्राप्त कर बड़े- बड़े ओहदे पर काम कर रही हैं । इसके चलते महिलाओं के चेहरे पर मुस्कुराहट का ग्राफ बढ़ा है। महिलाओं ने जगाई घर-घर शिक्षा की अलख
-कार्य पर गौर करें तो महिलाओं ने घर-घर जाकर शिक्षा की अलख जगाई है। साक्षरता अभियान से जुड़ी तालीमी मरकज बीबी यासमीन, फरहाना, आसिया परवीन और सबीहा परवीन ने कहा कि साक्षरता वास्तव में एक जागरूकता अभियान है। इसमें पढ़ने- लिखने के साथ साथ सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ भी जान जागरण अभियान चलाया जा रहा है। शराबबंदी, बाल विवाह और दहेज प्रथा उन्मूलन में साक्षरता कर्मियों में महिलाओं की भूमिका अहम है। साक्षर महिलाओं को जीविका से जोड़कर सरकार उत्साहवर्धन किया है। समूह के माध्यम से आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की प्रत्येक टोले में चल रही है। गांधी जी के सपने को लेकर घर-घर दस्तक
साक्षरता पुरुष तालीमी मरकद माजिद अंसारी, जावेद आलम, रईस अंसारी और मु. उमर ने कहा हमलोगों ने बिहार सरकार के निर्देश पर समाज के परिवेश बदलने का काम किए हैं। गांधी जी के विचार को लेकर बापू आपके द्वार कार्यक्रम के तहत संदेशों का फोल्डर घर- घर तक पहुंचाया है। इतना ही नहीं लोगों को उनके वोट के अधिकार को समझाया और मतदाता जागरूकता अभियान चलाकर मतदान प्रतिशत को बढ़ाने का काम किया है। कोट - पहले समझ में नहीं आता था, लेकिन आज साक्षरता अभियान का प्रभाव समझ में आ रहा है। जिले को साक्षरता के लिए इसी के चलते राष्ट्रपति सम्मान भी प्रदान किया गया है। साक्षरता की पूरी टीम समाज को जगाने में अहम भूमिका निभा रही है।
-प्रो. बासुकी नाथ झा, मुख्य समन्वयक, साक्षरता अभियान ।
---कोट---
मैं तालीमी मरकज की शिक्षिका हूं। तीन बेटियां हैं। यही तीनों बेटियां मेरे लिए बेटे के समान हैं। बड़ी बेटी आज बीएससी कर रही है। उसे मेडिकल के क्षेत्र भेजना चाहती हूं। अन्य दो बेटियां इंटर मीडिएट व मैट्रिक की छात्रा हैं। यह सब साक्षरता अभियान के प्रभाव की देन है।
-अमिना बेगम, शिक्षिका, तालीमी मरकज, पटेगना