रंगोली से प्रकाश पर्व मनाएंगे आलोक
अररिया। दीप जलाने के लिए घर -घर में सफाई चलाई चल रही है। क्योंकि प्रकाश और ज्योति का
अररिया। दीप जलाने के लिए घर -घर में सफाई चलाई चल रही है। क्योंकि प्रकाश और ज्योति का पर्व व अंधकार का नाशक दीपावली पर्व मनाने के लिए भारतीय संस्कृति में स्वच्छता को सबसे अधिक महत्व दिया गया है। मन के ताप स्वच्छता से शीतल होते हैं। यह बात दीये, इत्र, रंगोली तथा फूल से प्रकाश का पर्व दीपावली मनाने वाले शिक्षक आलोक गुप्ता तथा कन्हैया रौनियार आदि ने दी और बताया कि इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा होती है, जो गरुड़वाहिनी है। शक्ति, सेवा और गतिशीलता उनके मुख्य गुण हैं। लाखों दीपों को जलाकर हम माता लक्ष्मी की गरुड़वाहिनी रूप की पूजा करते हैं । दीपावली का जिक्र आते ही हमारे मन में जगमग दीपक और मिठाइयों के साथ -साथ पटाखों के धूम -धड़ाके की तस्वीर उभरने लगती है लेकिन सनातन परंपरा के अनुसार पटाखें कभी भी हमारे पर्व के हिस्सा नहीं रहे, लेकिन समय के अनुसार ये दीपावली के जश्न में कुछ यूं हावी हुए कि पर्यावरण के लिए ही खतरा बन गए। दीपावली पर्व को कुछ ऐसे मनाना चाहिए कि जिसमें सिर्फ जश्न हो , खुशियां हो । पूरी रात उल्लास का समागम हो । पटाखों का जहर न हो । पटाखों के अंदर रहने वाला बारूद वायु को दूषित करता है । ध्वनि प्रदूषण होता है। वहीं भानू प्रताप गुप्त तथा प्रणव गुप्ता बतलाते हैं कि मिट्टी के दीयों से फैलने वाला प्रकाश मन में नई खुशी व ऊर्जा का संचार करता है । दीयों को जलाने से वायु में फैले हानिकारक जीवाणु नष्ट होते हैं । वहीं मुखिया संघ अध्यक्ष रमेश कुमार यादव तथा लक्ष्मी नारायण ¨सह कहते हैं कि इस पर्व में रंगोली का बहुत महत्व है । वे कहते हैं कि घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाने से सुख, शांति तथा समृद्धि आती है । दीपावली पटाखों से नहीं रंगोली से होनी चाहिए । सोनामनी गोदाम के रामचंद्र तथा वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता कहते हैं कि दीपावली दीप जलाने का पर्व है। घरों और गांव को स्वच्छ रखने का परंपरागत संकल्प है। डॉ. वैदेही शरण राय बतलाते हैं कि पटाखों में हानिकारक तत्व का प्रयोग होता है । जिससे कैंसर, हृदय रोग, अस्थमा सहित कई बीमारी हो सकती हैं। वहीं भारतीय संस्कृति के अनुसार इस मौके पर दीपों को जलाने के लिए घर-द्वार की सफाई की जाती है। यह सही है कि जहां स्वच्छता होती हैं, वहां लक्ष्मी निवासी करती हैं।