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सैकड़ों ¨क्वटल अनाज का हो रहा प्रतिमाह गोलमाल

अररिया। जनवितरण प्रणाली में परिवहन और रखरखाव के मद्देनजर क्षतिपूर्ति की व्यवस्था नहीं होने क

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 09:10 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 09:10 PM (IST)
सैकड़ों ¨क्वटल अनाज का हो रहा प्रतिमाह गोलमाल

अररिया। जनवितरण प्रणाली में परिवहन और रखरखाव के मद्देनजर क्षतिपूर्ति की व्यवस्था नहीं होने के चलते प्रतिमाह सैकड़ों ¨क्वटल अनाज का गोलमाल हो रहा है। सरकार तीन किलो गेहूं और दो किलो चावल प्रति यूनिट देती है। लेकिन बदले में प्रति बोरी आधा किलो अनाज की भी क्षतिपूर्ति नहीं करती है। इससेजिले के 25.55 लाख लाभुकों में से अधिकांश को 500-500 ग्राम अनाज डीलरों को बतौर क्षतिपूर्ति देनी पड़ रही है। हालांकि इस बाबत जिला आपूर्ति पदाधिकारी के पास शिकायतें पहुंच रही है। इस बाबत नगर परिषद अररिया और प्रखंड क्षेत्र के 233 जन वितरण प्रणाली के डीलरों में से अधिकांश का कहना है कि सरकारी व्यवस्था ही डीलरों को भ्रष्ट बना रही है। निजी गोदाम से लाभुक तक अनाज पहुंचाने में पांच किलोग्राम तक अनाज प्रति बोरी कम हो जाता है। यह वजन चावल और गेहूं में नमी के चलते हो सकता है, बोरियां फट जाने से हो सकता है या अन्य किसी और कारणों से हो सकता है। वहीं डीलरों तक अनाज पहुंचाने वाले ठेकेदारों का कहना है कि प्रत्येक वाहन में जीपीएस लगा हुआ है। वजन बताने वाली मशीन लगी है जिसके माध्यम से सरकार कोटेदार के गोदाम तक वाहनों के पहुंच जाने तक देखते रहती है। गोदाम से माल तौलकर दिया जाता है और कोटेदार को बुलाकर धर्मकांटा पर वजन करके को दिखाया जाता है। बोरी अनलो¨डग की जिम्मेदारी कोटेदार की होती है। अनलोड करते समय बोरी फट जाती है तो उसकी भरपाई कोटेदारों करनी पड़ेगी। ठेकेदार उसके लिए जिम्मेदार नहीं है।

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-------कोट-------

-गोदाम में माल उतरते समय 10-15 बोरियों में एक बोरी फट जाती है। इसकी क्षतिपूर्ति डीलर को करनी पड़ती है। केंद्र सरकार भारतीय खाद्य निगम के प्रबंधकों को अनाज डैमेज देती है लेकिन कोटेदारों को नहीं देती है। अनलो¨डग व गोदाम में अनाज रखने से होने वाली क्षति की पूर्ति सरकार को करनी चाहिए।

--- मो.शमीम, पैक्स अध्यक्ष, रामपुर मोहनपुर , वेस्ट, अररिया ।

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अनाज कम देने की शिकायत लगातार मिल रही है। इस बाबत जो भी आवेदन मिल रहे हैं, उसे एसडीएम के पास भेज दिया जाता है। प्रधान सचिव घटतौली लेकर बहुत सख्त हैं। लगातार चार सप्ताह से निरीक्षण किया जा रहा है। इसके बावजूद शिकायतों के आने का सिलसिला थम नहीं रहा है। स्पष्टीकरण मांगने के बाद डीलरशिप रद कर देने का निर्देश है।

-राजकुमार प्रसाद, डीएसओ, अररिया।

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-जन वितरण प्रणाली पर क्या बोलें? बोलना ही बेकार है। शहर में 24 घंटे बिजली नहीं रहती है लेकिन केरोसिन की आपूर्ति बंद कर दी गई। ग्रामीण क्षेत्रों में भी केरोसिन की मात्रा घटा दी गई है। वर्तमान व्यवस्था में कोई सुनने और देखने वाला नहीं है। इसलिए चुप रहना ही बेहतर है।

-आबिदुर रहमान, विधायक, अररिया।


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