ललन कर रहे शिक्षा दान, गरीब बच्चों को मिल रहा लाभ
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अफसर अली, जासं, अररिया : ललन कुमार श्रीवास्तव केवल एक ही मकसद है कि आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे अनपढ़ नहीं रहे। वह तामझाम व शहर छोड़कर बसैटी गांव में बच्चों को ज्ञान बांट रहे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर, यतीम बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा देते हैं। साथ ही उन्हें मुफ्त में किताबें भी उपलब्ध कराते हैं। वह बसैटी गांव की पिछड़ी बस्ती में स्कूल चलाते हैं। वहां तीन सौ से अधिक बच्चे शिक्षा ले रहे हैं। अमीर अभिभावकों से मिलने वाली सहयोग राशि से वह अपना और गरीब बच्चों पर होने वाला खर्च पूरा करते हैं। वह मूल रूप से पूर्णिया जिले के निवासी हैं।
बसैटी गांव में किराए के घर में स्कूल चलाते हैं। उन्होंने बीएससी व डीएलएड की पढ़ाई पूरी की है। वे स्वयं भी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में जुटा है।
गरीब बच्चों ने नहीं लेते फीस: ललन कुमार श्रीवास्तव के स्कूल में तीन सौ से अधिक बच्चे पढ़ाई करते हैं। इसमें करीब एक सौ बच्चें ऐसे हैं जिनके अभिभावक काफी आर्थिक रूप से कमजोर हैं। जो स्कूल का फीस देने में असमर्थ हैं। इन बच्चों से ललन स्कूल फीस नहीं लेते। साथ ही यतीम बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा देने के साथ साथ किताबें भी मुफ्त में उपलब्ध कराते। ताकि कोई भी बच्चा पढ़ाई से वंचित नहीं रह सके। वह आर्थिक रूप से मजबूत अभिभावकों से मिलने वाली सहयोग राशि से इन बच्चों पर व अपना खर्च चलाते हैं।
- आर्थिक तंगी के बाद भी नहीं मानी हार :
ललन कुमार श्रीवास्तव आर्थिक तंगी से जुझने के बाद भी हार नहीं मानी। ललन ने बताया कि एक गरीब परिवार संबंध रखते हैं। वर्ष 2014 में पिता जी का देहांत हो गया। घर की जिम्मेदारी के साथ पढ़ाई जारी रखना काफी मुश्किल हो गया था। लेकिन हिम्मत नहीं हारी। वे पूर्णिया में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगे। रातदिन मेहनत के बाद बीएससी व डीएलएड की पढ़ाई पूरी की। ठान ली कि आर्थिक रूप से कमजोर कोई बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहे। इसी उद्देश्य से चार साल पहले बसैटी गांव पहुंचे थे। यहां देखा कि अमीर अभिभावक अपने बच्चों को शहरों में रखकर पढ़वाते हैं और कमजोर वर्ग के बच्चे आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा से वंचित रहे हैं। उन्होंने ट्रस्ट के माध्यम से स्कूल की स्थापना की और निश्शुल्क शिक्षा देने में जुट गए। आज उनके प्रयास से दर्जनों गरीब बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा मिल रही है। कोरोना काल में भी वह बच्चों को आनलाइन शिक्षा देते रहे ताकि बच्चों की रुचि पढ़ाई से हटे नहीं।