गांधी के अंतिम आदमी को आज भी मतदान से नहीं है मतलब
-------------- -जागरूकता के अभाव में वोटिग नहीं करते बंजारा समाज के लोग -जिले में लगभग 1
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-जागरूकता के अभाव में वोटिग नहीं करते बंजारा समाज के लोग
-जिले में लगभग 10 हजार है इनकी आबादी, नहीं ले रहा कोई सुध
राहुल कुमार
--संसू,फारबिसगंज (अररिया): इक्कीसवीं सदी में जहां केंद्र व राज्य सरकार के आला अधिकारी शत-प्रतिशत मतदान कराने को लेकर ²ढ़ संकल्पित होकर कार्य करते नजर आ रहे हैं। वही, गांधी का अंतिम आदमी को आज भी मतदान से कोई सरोकार नहीं है। फारबिसगंज के भागकोहलिया पंचायत सहित पूरे जिले में सैकड़ों बंजारा परिवार हैं पर सरकार की उदासीनता के चलते बंजारा समुदाय के लोग वोट के प्रति जागरूक नहीं है। आए दिन टीवी- अखबार सहित सड़कों पर नुक्कड-नाटक कर व बड़े-बड़े होडिग में वोटरों को जागरूक करने के लिए तरह- तरह के स्लोगन व विज्ञापन पर करोड़ों रुपये का ़खर्च होता है, पर अररिया लोकसभा की जमीन पर बसे सैकड़ों बंजारों की स्थिति से अवगत होंगें तो वोटरों के लिए किए गए जागरूकता अभियान का पैमाना जमीन पर नहीं उतरता, जिले में 10 हजार से अधिक आबादी बंजारा समुदाय की फारबिसगंज के भागकोहलिया, बथनाहा, खवासपुर, अररिया के हाडियाबड़ा,रजोखर, जोकीहाट सहित अन्य जगहों पर है, पर मतदान के प्रति जागरूकता नहीं होने के वजह से इस बार भी ये बड़ी आबादी देश के सबसे बड़े लोकतांत्रिक पर्व का हिस्सा बनने से वंचित रह गए हैं।
इस संबंध में बंजारा समुदाय के हारून खान कहते है कि हमारे समाज का बच्चा सैफ अली खान ने हमारे अधिकारों की लड़ाई लड़ सभी को जाति प्रमाण पत्र सहित वोटर लिस्ट में नाम जुड़वा दिया है। जाति प्रमाण पत्र निर्गत होने से बच्चों को अच्छे स्कूल में दाखिला भी मिल गया है। गौततलब है कि ये तो फारबिसगंज के भागकोहलिया की स्थिति है, जहां चंद महीने पहले ही उनके मूलभूत अधिकार प्राप्त तो हो गए है पर वोट की प्रति ये जागरूक नहीं है। बंजारा समाज के ही सैफ अली ़खान की लिखी किताब का विमोचन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया है। सैफ के बड़े भाई आमिर समर खान ़िफल्मों में अपनी किस्मत आ•ामा रहे हैं।
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-जिलें के विभिन्न जगहों पर ये रह रहे हैं । इन्हें ये भी पता नहीं की आखिर चुनाव किस ची•ा का हो रहा है। बंजारा समाज के लिए लगातार संघर्ष करके मतदाता बनाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन राजनैतिक दलों का सहयोग नहीं मिल रहा है।
--सैफ अली खान, सामाजिक कार्यकर्ता
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हमारे बंजारा समुदाय को अनुसूचित जनजाति के श्रेणी में रखा गया है, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते समाज के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। हमलोग अपने स्तर से बंजारा समुदाय को जागरूक करने का प्रयास कर रहें है।
-फारूक खान, अध्यक्ष बंजारा समाज बिहार।
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- हमलोग यहां 20 वर्षों से अधिक समय से रह रहें हैं। और अब हमलोगों का नाम वोटरलिस्ट में नहीं है। जाति प्रमाणपत्र निर्गत हो गया है। मतदाता बनते ही मतदान करेंगे।
--जंगली खान, सदस्य बंजारा समाज भागकोहलिया।
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Þका होयेगे वोट देके कोऊन नेता फेता हम बंजारा सब के दु:ख दर्द समझी हा, भोट ले लिबत और फिर कोई नजर नाय आयेंगे. यही ला इस बार भोट हमलोग नाय दिमा।
-अंगूरी, महिला सदस्य बंजारा समाज।