चुनावी समीकरण बिगाड़ने में लगे हैं वोट कटवा (महासमर पेज के लिए)
-कई को परोक्ष रूप से महासमर में लाने की हो रही क्षेत्र के लोगों में चर्चा -कितने मतदाताअ
-कई को परोक्ष रूप से महासमर में लाने की हो रही क्षेत्र के लोगों में चर्चा
-कितने मतदाताओं को झांसे में ला सकेंगे मतगणना के दिन ही चलेगा पता ज्योतिष झा ,अररिया: लोकसभा चुनाव में जीत को लेकर सभी प्रत्याशी दिन- रात कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, कुछ वोट कटवों के मैदान में खड़े होने से कुछ दिग्गजों को एक बार फिर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे प्रत्याशियों को मिले मत चुनावी जीत -हार में अहम भूमिका निभाएगा है क्योंकि अररिया लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के बावजूद भाजपा की हार हुई थी। हालांकि उस समय भाजपा- जदयू अलग अलग चुनावी मैदान में खड़े थे। लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय तसलीमुद्दीन के निधन के बाद हुए उपचुनाव 2018 में भाजपा जदयू के संयुक्त गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह चुनावी मैदान में थे। आतंरिक भीतरघात और वोट कटवों ने भाजपा का चुनावी गणित बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। उस हार को राजनीतिक समीक्षक भाजपा की नहीं बल्कि प्रदीप कुमार सिंह की हार मान रहे थे। रही- सही कोर कसर वोट कटवा प्रत्याशियों ने पूरी कर दी थी। पिछले उपचुनाव में मिले वोटों के आंकड़े को देखें तो राजद महागठबंधन के विजयी प्रत्याशी सरफराज आलम को 5 लाख 9 हजार 328, भाजपा के प्रदीप सिंह को 4 लाख 47 हजार 513, उपेन्द्र सहनी को 18,731, जाप के प्रिस विक्टर को 20,919, निर्दलीय विनीत प्रकाश को 4,661, महेश्वर ऋषि 5,983, सुदामा सिंह को 11,347 वोट मिले थे।
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नोटा ने भी निभाई थी हार-जीत में अहम भूमिका
-नोटा ने भी उलटफेर करने में अहम भूमिका निभाई थी । नोटा में 17,607 मतदाताओं ने वोट डाले थे। राजद, भाजपा को मिले वोट को छोड़ दें तो नोैटा सहित अन्य सभी उम्मीदवारों के मत को जोड़ दिया जाए तो 79 हजार 268 मत होते हैं। सरफराज आलम ने प्रदीप सिंह को 61 हजार 815 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव 2019 में भी एक दर्जन प्रत्याशी मैदान में डटे हैं जो जीत हार में बड़ा उलटफेर कर सकते हैं। राजद के सरफराज आलम, भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह के अलावा बसपा से रामनारायण भारती के अलावा तारानंद पासवान, सुदामा सिंह,
मो. मतीन, मिन्हाज, मुकेश सिंह, मोबीनुल हक, रामानंद ऋषिदेव, वाहिद खान व शाहीन परवीन मैदान में खड़े हैं। सूत्रों की मानें तो इनमें कई वोट कटवों के तौर पर परोक्ष रूप से मैदान में लाए गए हैं। अब देखना है कि वोट कटवे कितने मतदाताओं को अपने झांसे में ला सकते हैं और इनका फायदा किनको कितना मिलता है। इसकी जानकारी मतगणना के दिन मिलेगी।