कितनी सुरक्षित हमारी सीमा
समीर, अररिया एसएसबी को पता है, क्या करना है और क्या नहीं? अगर देश को कोई खतरा पहुंचाने की कोशिश कर
समीर, अररिया
एसएसबी को पता है, क्या करना है और क्या नहीं? अगर देश को कोई खतरा पहुंचाने की कोशिश करेगा तो हम क्या खामोशी से चुप बैठे रहेंगे? यह सही है कि भारत-नेपाल सीमा के बीच नो मेंस लैंड है। अंतरराष्ट्रीय नियम बनाए गए हैं, लेकिन क्या किसी आतंकी को पकड़ने के लिए भारत-नेपाल के जवानों को किसी से अनुमति लेने की जरूरत है? भारतीय क्षेत्र से भी अगर नेपाली गोरखा किसी आतंकी को पकड़ ले जाए तो हम मदद करेंगे।
नाम नहीं छापने की शर्त पर एसएसबी के अधिकारियों ने दैनिक जागरण से अपनी बात को कुछ इसी प्रकार कहा। अधिकारियों ने बताया कि नेपाली क्षेत्र के लोग आज इस क्षेत्र को मध्य देश बोलने लगे हैं। कुछ इस प्रकार की बातें नो मेंस लैंड पर सुनने को मिल रही हैं। यहां बसे लोग अब तो भारत-नेपाल के गांवों में शादियां भी रचाने लगे हैं। जो गंभीर विषय बनता जा रहा है।
---- असामाजिक तत्व गायब कर रहे बार्डर पीलर
भारत-नेपाल बार्डर के बीच नो मेंस लैंड की तीस जगहों से बार्डर पीलर गायब हो गए हैं। यह आंकड़ा अररिया सीमा पर तैनात तीन बटालियनों में से सिर्फ 28वीं बटालियन का है। शेष दो अन्य बटालियन के अनुसार यह आकंड़ा सौ पार कर सकता है। सूत्र बताते हैं कि यह आंकड़ा 124 के करीब है। इन पीलर को या तो साजिश कर गायब किया जा रहा या वे बाढ़ की भेंट चढ़ गए हैं।
----एसएसबी परेशान, बार्डर पीलर बचाना नहीं आसान
भारतीय क्षेत्र की ओर से पीलर बचाने में एसएसबी की मुस्तैदी दिखती है। एसएसबी के 28वीं बटालियन के जवानों की रूटीन में पीलर को बचाने की जवाबदेही सौंपी गई है। गायब हुए कई पीलर को मिट्टी खुदाई कर बाहर निकाला जा रहा है। रंग रोगन वगैरह भी किया जा रहा है। लेकिन दुख की बात तो यह कि जहां से पीलर गायब हुए, दूसरी लगाने की जरूरत महसूस नहीं की गई।
- अररिया सीमा पर एसएसबी की तीन बटालियन की तैनाती
अररिया जिले की सीमा पर एसएसबी की तीन बटालियन की तैनाती है। एसएसबी की 28वीं बटालियन की मुस्तैदी देखते बनती है। समाचार संकलन के दौरान इन जवानों ने कई गंभीर विषयों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया।
- 28 जनवरी को होगी भारत-नेपाल की महत्वपूर्ण बैठक
दोनों देश के वरीय अधिकारियों के साथ 28 जनवरी को बथनाहा स्थित एसएसबी कैंप में महत्वपूर्ण बैठक होगी। जिसे काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जिसमें नो मेंस लैंड से अतिक्रमणकारियों को हटाने में आ रही अड़चनों पर गंभीर मंथन होना है। सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से भी यह बैठक काफी महत्वपूर्ण है। बैठक में अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाने की तिथि एक बार फिर निर्धारित हो सकती है। बता दें कि भारत-नेपाल सीमा के बीच नो मेंस लैंड पर लगभग दो लाख लोग बसे हैं। जो न तो भारत के हैं और न ही नेपाल के। इन्हें हटाना दोनों देश के लिए किसी चुनौती से कम नहीं।