क्या होगा जब BS-4 वाहन में BS-6 फ्यूल डलेगा? जानिये ऑटो एक्सपर्ट की राय
बीएस-6 फ्यूल में सल्फर की मात्रा कम होती है जिसकी वजह से प्रदूषण भी कम फैलता है।
नई दिल्ली (बनी कालरा)। शहरों में प्रदूषण को दूर करने के लिए अब सरकार ने बीएस-6 फ्यूल की बिक्री शुरू करने का एलान कर दिया है सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह 13 बड़े शहरों में एक वर्ष पहले यानी अप्रैल, 2019 से ही यह ईंधन उपलब्ध कराए। सरकारी क्षेत्र की रिफाइनरी कंपनियों की तैयारी देखते हुए लगता है कि यह संभव है।
अब सवाल यह आता है कि जब किसी बीएस-4 इंजन में बीएस-6 फ्यूल डलेगा तो होगा? बीएस-6 फ्यूल पर चलने वाले बीएस4 डीजल वाहन के उत्सर्जन में करीब 5 फीसद तक की कमी आ सकती है। बीएस-6 फ्यूल में सल्फर की मात्रा काफी कम होती है जिसकी वजह से प्रदूषण भी कम फैलता है। बीएस-4 इंजन पर बीएस-6 फ्यूल के इस्तेमाल करने से पेट्रोल गाड़ियों के उत्सर्जन में मामूली कमी आएगी, लेकिन डीजल वाहनों पर इसका असर बहुत ज्यादा नहीं पड़ने वाला है लेकिन अगर बीएस-6 फ्यूल को बीएस-6 इंजन में इस्तेमाल किया जाए तो काफी ज्यादा फर्क पड़ेगा। वैसे आपको बता दें कि बीएस-6 वाले वाहनों से नाइट्रोजन ऑक्साइड का 89 फीसद और पीएम का 50 फीसद कम उत्सर्जन होगा।
ऑटो एक्सपर्ट रंजॉय मुख़र्जी ने बताया कि अप्रैल से दिल्ली में बीएस-6 फ्यूल मिलेगा, लेकिन बीएस-4 पेट्रोल इंजन में बीएस-6 पेट्रोल के इस्तेमाल से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन डीजल पर असर पड़ेगा, फिलहाल बिक रहे डीजल में सल्फर की मात्रा 50 पीपीएम और BS6 डीजल में इसकी मात्रा महज़ 10 पीपीएम रह जाएगी। लेकिन अगर बीएस-6 फ्यूल के साथ बीएस-6 इंजन होगा तो बेहतर होगा।
मर्सिडीज ने तो अपने सभी मॉडल बीएस-6 कर दिए हैं लेकिन बाकी कंपनियां भी अगले 6 महीने में अपने सभी मॉडल्स को बीएस-6 इंजन में कन्वर्ट कर पायेंगी यह मुश्किल लगता है, रंजॉय मुख़र्जी ने यह भी कहा कि बीएस-4 इंजन से बीएस-6 इंजन की तरफ जाने से गाडी की कॉस्टिंग भी बढ़ जाएगी।
सराकर ने 13 बड़े शहरों में बीएस-6 फ्यूल की बिक्री की बातकही तो है लेकिन तब क्या होगा जब आपको अपनी बीएस-6 इंजन वाली कार में बीएस-4 पेट्रोल डलवाना पड़ेगा। ऐसे में सरकार को अभी इस ओर ज्याद ध्यान देने की जरूरत होगी।