अब किसान देंगे इकोनॉमी को धार, ट्रैक्टरों की बिक्री हुई उम्मीद के पार
महिंद्रा एंड महिंद्रा के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने कहा था कि किसान ही इकोनॉमी के खेवनहार बनकर उभरने वाले हैं।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। कोरोना संकट और लॉकडाउन के इस चुनौतीपूर्ण समय में ग्रामीण बाजारों में ट्रैक्टरों के बिक्री आंकड़ों ने कृषि क्षेत्र के बड़े जानकारों को भी चैंकाया है। एक तरफ मई में जहां Maruti Suzuki और Hyundai मोटर जैसी कंपनियां शहरों से लेकर गांवों तक ग्राहकों को तरसती रहीं, वहीं ग्रामीण बाजारों में ट्रैक्टरों की जमकर बुकिंग और खरीदारी हुई। कुछ कंपनियों ने तो यह भी बताया कि इस अवधि में उन्हें ट्रैक्टर की डिलिवरी के लिए अपने ग्राहकों को दो से तीन हफ्तों तक की प्रतीक्षा अवधि पर रखना पड़ा।
मई के ऑटो बिक्री आंकड़े आने के बाद सोमवार को महिंद्रा एंड महिंद्रा के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने कहा था कि किसान ही इकोनॉमी के खेवनहार बनकर उभरने वाले हैं। कृषि जगत के जानकारों का भी कहना है कि सरकार ने पिछले महीने लॉकडाउन की अवधि में भी कुछ शर्तो के साथ कृषि संबंधी गतिविधियां जारी रखने की इजाजत देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ी चोट से बचा लिया।
इस सप्ताह सोमवार को ऑटो कंपनियों ने मई के अपने बिक्री आंकड़े जारी किए हैं। इसमें महिंद्रा एंड महिंद्रा ने मई में घरेलू बाजार में 24,017 यूनिट ट्रैक्टरों की बिक्री कर बाजार को चैंकाया, तो Escorts ने भी इस अवधि में 6,454 यूनिट ट्रैक्टर बेचे। आंकड़ों के लिहाज से महिंद्रा ट्रैक्टरों की घरेलू बिक्री पिछले वर्ष समान अवधि के मुकाबले दो प्रतिशत अधिक है, तो Escorts की बिक्री भी पिछले वर्ष मई की तुलना में महज आधे प्रतिशत कम है। सोनालिका, टैफे, जॉन डीयर और फोर्स जैसे ब्रांड्स की भी मई में बिक्री उतनी निराशाजनक नहीं रही है।
आयशर मोटर्स के एक अधिकारी का कहना था कि लॉकडाउन के बावजूद किसानों ने ट्रैक्टर की इस कदर बुकिंग की है कि कंपनी को अपनी क्षमता के अनुरूप उत्पादन के बावजूद उन्हें प्रतीक्षा अवधि पर रखना पड़ रहा है। इस वर्ष मई के ट्रैक्टर बिक्री आंकड़े उत्साहजनक होने के साथ-साथ सुकून और संतोषजनक भी हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि इकोनॉमी की सुस्ती को लेकर दुनियाभर की एजेंसियां और विशेषज्ञ जो कुछ भी कह रहे हैं, किसानों और कृषि कार्यो से जुड़े लोगों ने उसे लगभग अनसुना ही किया है। महिंद्रा का कहना था कि ऑटो उद्योग और इकोनॉमी के लिए यह वापस गांवों की ओर लौटने का वक्त है।
विशेषज्ञ भी मानते हैं कि लॉकडाउन के दौरान शहरों से जितने मजदूर अपने-अपने गांवों की ओर लौटे हैं, उसका एक बड़ा हिस्सा किसी न किसी रूप में कृषि गतिविधियों में ही लगने वाला है। दूसरी तरफ, सरकारी एजेंसियों ने भी इस वर्ष रबी और खरीफ, दोनों सीजन की फसलों की बंपर पैदावार का अनुमान लगाया है। इस अनुमान को मौसम विभाग के इन अनुमानों से भी बल मिला है कि इस वर्ष मानसून की अच्छी और समय पर बारिश होगी।